iGrain India - नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने का हवाला देते हुए 20 जुलाई 2023 को गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करते हुए अधिसूचना जारी की थी जिससे कई निर्यातकों का माल अटक गया था और उसे पुराने अनुबंधों के तहत इसका शिपमेंट करने का अवसर नहीं मिल सका।
भारतीय निर्यातक बार-बार सरकार से सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग करते आ रहे हैं लेकिन जब सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक संकेत सामने नहीं आया तब एक निर्यात फर्म ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर दी।
इसमें सरकारी अधिसूचना की वैधता को समाप्त करने तथा कम्पनी को चावल का निर्यात करने की स्वीकृति देने का आग्रह किया गया है।
उच्चतम न्यायालय ने कम्पनी की इस याचिका को विचारार्थ स्वीकार करते हुए इस पर सरकार की प्रक्रिया जानने का प्रयास शुरू किया है।
इसके लिए केन्द्र सरकार, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी), राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) तथा अन्य सम्बद्ध पक्षों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
याचिककर्ता फर्म ने सितम्बर 2023 में डीजीएफटी द्वारा जारी इस अधिसूचना को भी चुनौती दी है जिसमें केवल एनसीईएल के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात के 75 हजार टन चावल के शिपमेंट की अनुमति दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कस्टम विभाग को भी नोटिस जारी किया है। कम्पनी ने कहा है कि डीजीएफटी की अधिसूचना जारी होने से पूर्व उसने 1.30 करोड़ किलो चावल खरीदा था जो अब तक वेयर हाउस में पड़ा हुआ है। आयातकों से भुगतान प्राप्त होने के बावजूद अब तक उसे चावल की आपूर्ति नहीं की जा सकी है।