iGrain India - नई दिल्ली । एक साल के अधिक समय तक ऊंचा एवं तेज रहने के बाद चना, तुवर, उड़द, एवं मसूर जैसी प्रमुख दालों की कीमतों में पिछले एक माह से नरमी का माहौल देखा जा रहा है।
सरकारी अधिकारियों एवं व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि देश की प्रमुख मंडियों में दाल-दलहन का दाम नरम पड़ने लगा है।
समीक्षकों के अनुसार आयात में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी होने से चना एवं तुवर पर भंडारण सीमा लागू किए जाने तथा बिजाई क्षेत्र में अच्छी वृद्धि का संकेत मिलने से दाल-दलहनों की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ी है और कीमतों में नरमी आई है। मानसून की अच्छी बारिश होने से खासकर तुवर के क्षेत्रफल में शानदार बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।
इससे दलहनों-दालों में महंगाई दर में कुछ गिरावट आने की उम्मीद है जो जून 2023 से ही दोहरे अंकों में चल रही है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार सरकार द्वारा किए जा रहे मूल्य नियंत्रण सम्बन्धी उपायों,
उदार आयात नीति और खरीफ दलहन फसलों के बिजाई क्षेत्र में इजाफा होने जैसे कारको की वजह से दाल-दलहन बाजार में पहले स्थिरता आई और अब नरमी आने लगी है।
अगले दो महीनों के दौरान कीमतों में कुछ और गिरावट आने की उम्मीद है। पिछले एक माह के दौरान प्रमुख दलहनों के थोक मंडी मूल्य में 4 प्रतिशत और गत कुछ सप्ताहों में 8 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है।
उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान तुवर दाल का मॉडल खुदरा मूल्य सबसे ज्यादा 26.86 प्रतिशत उछल गया था जो अब 5.8 प्रतिशत घटकर 160 रुपए प्रति किलो रह गया है।
इसी तरह मसूर दाल का खुदरा भाव करीब 10 प्रतिशत की गिरावट के साथ 90 रुपए प्रति किलो पर आ गया है। थोक मंडी भाव में आने वाली गिरावट का असर अब खुदरा मूल्य पर भी दिखाई पड़ने लगा है। अखिल भारतीय स्तर पर दाल-दलहनों के औसत खुदरा भाव में साप्ताहिक आधार पर गिरावट आई है।
खरीफ फसलों का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष की तुलना में 10.9 प्रतिशत बढ़कर 110.60 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुका है जबकि बिजाई की प्रक्रिया अभी जारी है।