iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि 2 अगस्त 2024 तक खरीफ कालीन दलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 11 प्रतिशत बढ़कर 110.60 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जिससे बेहतर उत्पादन की उम्मीद की जा सकती है
लेकिन कुछ अग्रणी विश्लेषकों का कहना है कि दलहन फसलों का भविष्य आगामी समय के मौसम एवं मानसून की स्थिति पर निर्भर है।
दरअसल देश के कुछ महत्वपूर्ण दलहन उत्पादक इलाकों में पहले ही भारी बारिश हो चुकी है और कई क्षेत्रों में जल भराव का संकट बना हुआ है जबकि आगे वहां और भी वर्षा होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
इसमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं गुजरात आदि शामिल हैं। इसके फलस्वरूप तुवर, उड़द एवं मूंग की फसल को विशेष रूप से नुकसान होने की आशंका है।
जुलाई माह के दौरान देश में अच्छी बारिश हुई और अब अगस्त में भी विभिन्न भागों में भारी वर्षा का दौर जारी है। तीनों प्रमुख खरीफ दलहनों 2 अरहर (तुवर), उड़द एवं मूंग की अच्छी बिजाई हुई है।
तुवर की खेती में किसानों का जबरदस्त आकर्षण एवं उत्साह देखा जा रहा है। मूंग का रकबा भी बढ़ा है जबकि उड़द का क्षेत्रफल कुछ पीछे रह गया है।
दक्षिण पश्चिम मानसून अभी देश के कई राज्यों में सक्रिय है जिससे वहां मुसलाधार बारिश होने का अलर्ट जारी किया जा रहा है।
अभाव ग्रस्त क्षेत्रों में होने वाली वर्षा तो किसानों एवं फसलों के लिए मंगलकारी है मगर अधिशेष वर्षा वाले इलाकों में घातक और विनाशकारी साबित होगी।
केन्द्र सरकार ने 2023-24 के मुकाबले 2024-25 सीजन के लिए खरीफ कालीन दलहनों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अच्छी बढ़ोत्तरी कर दी है।
इसके तहत तुवर का समर्थन मूल्य 550 रुपए बढ़ाकर 7550 रुपए प्रति क्विंटल (909 डॉलर प्रति टन), उड़द का 450 रुपए बढ़कर 7400 रुपए प्रति क्विंटल (891 डॉलर प्रति टन) तथा मूंग का एमएसपी 128 रुपए बढ़ाकर 8682 रुपए प्रति क्विंटल (1046 डॉलर प्रति टन) निर्धारित किया गया है।
चालू खरीफ सीजन में 45 लाख टन तुवर के साथ कुल 95 लाख टन दलहनों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।