iGrain India - नई दिल्ली । नीति आयोग के एक सदस्य ने कहा है सरकारी गोदामों में मौजूद चावल के पर्याप्त स्टॉक, दक्षिण-पश्चिम मानसून की भरपूर बारिश तथा धान के क्षेत्रफल में हो रही बढ़ोत्तरी को देखते हुए ऐसी स्थिति बन रही है कि गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल के निर्यात पर पिछले एक साल से लगे प्रतिबंध को हटाया जा सकता है।
घरेलू प्रभाग में चावल का अभाव उत्पन्न होने की आशंका नहीं है। अक्टूबर से धान की नई फसल की कटाई-तैयारी एवं सरकारी खरीद आरंभ हो जाएगी जिसे केन्द्रीय पूल में चावल का स्टॉक अनवरत बढ़ता रहेगा।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में अच्छी वर्षा होने से धान का उत्पादन बढ़ने के आसार हैं जिससे घरेलू बाजार में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
नीति आयोग के सदस्य के अनुसार चावल की आपूर्ति के मामले में कोई चिंता की बात नहीं है। स्टॉक पोजीशन बहुत मजबूत है इसलिए यदि अभी निर्यात प्रतिबंध को समाप्त कर दिया जाए तो भी देश में चावल की अधिशेष मात्रा उपलब्ध रहेगी। हाल के समय में भारत के साथ-साथ विदेशों में भी चावल के दाम में कुछ नरमी आई है।
उल्लेखनीय है कि सितम्बर 2022 से टुकड़ा चावल तथा जुलाई 2023 से गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लागू है जबकि अगस्त 2023 से सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा हुआ है।
सरकार अपने पास मौजूद चावल के विशाल स्टॉक को घटाने का हर संभव प्रयास कर रही है। इसके तहत राज्यों को सीधे भारतीय खाद्य निगम के गोदाम से 2800 रुपए प्रति क्विंटल की दर से असीमित मात्रा में चावल खरीदने की अनुमति दी गई है और ओएमएसएस के तहत भी इसकी बिक्री करने का निर्णय लिया गया है।
इधर खरीफ सीजन में धान का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 277 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जबकि इसकी रोपाई जारी है।
निर्यात प्रतिबंध को हटाने पर भी घरेलू प्रभाग में चावल की आपूर्ति, उपलब्धता एवं कीमत ज्यादा प्रभावित नहीं होगी जबकि देश में बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की आमदनी बढ़ जाएगी।