iGrain India - मुम्बई । भारत के पूर्वी पड़ोसी देश में भारी अराजकता फैली हुई है। वहां सरकार नहीं है। संसद भंग हो चुकी है। सेना और पुलिस अराजक तत्वों को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं कर रही है।
बेशक समूचे बांग्ला देश में कर्फ्यू लगा हुआ है और आर्मी चीफ ने जल्दी ही हालात सामान्य होने की उम्मीद जताई है मगर उद्योग-धंधे बंद हो गए है। चटगांव सहित अन्य प्रमुख बंदरगाहों पर कोई कामकाज नहीं हो रहा है।
ऐसी हालत में भारत से बांग्ला देश को रूई तथा कॉटन यार्न सहित अन्य उत्पादों का निर्यात स्वाभाविक रूप से ठप्प पड़ गया है। मसालों का भी निर्यात नहीं हो रहा है।
जब तक वहां हालात सामान्य नहीं होते तब तक आयात-निर्यात का कारोबार सुचारु ढंग से चलाना मुश्किल है। मालूम हो कि बांग्ला देश भारतीय रूई एवं कॉटन यार्न का सबसे प्रमुख आयातक देश बन गया है।
केन्द्र सरकार की आर्थिक एडवायजरी में चेतावनी दी गई है कि बांग्ला देश में उपद्रव एवं अराजकता के कारण कॉटन यार्न का निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है और इससे भारतीय कपास उत्पादकों तथा यार्न निर्माताओं की आमदनी पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
कृषि मंत्रालय को आगाह किया गया है कि व्यापार में लम्बे समय तक व्यवधान पड़ने तथा निर्यात में गिरावट आने से भारत में रूई की आपूर्ति काफी बढ़ जाएगी और कीमतों पर गहरा दबाव पड़ सकता है।
इसी तरह विदेश व्यापार महानिदेशक ने वाणिज्य मंत्रालय को आग्रह किया है कि बांग्ला देश के विषम हालात से भारत का आयात-निर्यात कारोबार प्रभावित होगा भारत में बांग्ला देश से अनेक आवश्यक वस्तुओं का आयात किया जाता है
जिसमें रूई से निर्मित वस्त्र, एयर क्राफ्ट तथा स्पेस क्राफ्ट के कल पुर्जे, जूट, चमड़ा, चप्पल जूते एवं समुद्री उत्पाद आदि शामिल हैं।
भारत से बांग्ला देश को रूई एवं कॉटन यार्न के अलावा मसालों, मक्का तथा ऑयल मील आदि का निर्यात होता है। पहले चावल, गेहूं एवं चीनी आदि का निर्यात भी बड़े पैमाने पर होता था अब इस पर प्रतिबंध लग गया है।