iGrain India - लातूर । कर्नाटक एवं महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में नियमित रूप से अच्छी बारिश होने के कारण न केवल अरहर (तुवर) के बिजाई क्षेत्र में शानदार बढ़ोत्तरी हुई है बल्कि फसल की हालत भी उत्साहवर्धक है और उसका बेहतर ढंग से विकास हो रहा है।
अरहर खरीफ सीजन की प्रमुख तिलहन फसल है और सरकार ने इसके उत्पादन का लक्ष्य 45 लाख टन निर्धारित किया है जो 2023-24 सीजन के उत्पादन 33 लाख टन से काफी अधिक है।
पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान अरहर का उत्पादन क्षेत्र कर्नाटक में 70 प्रतिशत उछलकर 15.30 लाख हेक्टेयर तथा महाराष्ट्र में 16 प्रतिशत बढ़कर 12 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है
जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इसका क्षेत्रफल गत वर्ष के 33.27 लाख हेक्टेयर से 26 प्रतिशत बढ़कर 41.89 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है।
आई ग्रेन इंडिया डायरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि महाराष्ट्र में तुवर के प्रमुख उत्पादक इलाकों में इस बार मानसून की काफी अच्छी बारिश हुई है और वहां फसल की हालत संतोषजनक बताई जा रही है।
कर्नाटक एवं महाराष्ट्र सहित अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में दिसम्बर-जनवरी के दौरान तुवर की नई फसल की कटाई-तैयारी आरंभ होगी मगर बेहतर बिजाई एवं फसल की शानदार स्थिति को देखते हुए
इस महत्वपूर्ण दलहन के दाम में गिरावट का माहौल बनना शुरू हो गया है। दरअसल अत्यन्त ऊंचे मूल्य स्तर पर तुवर की मांग कुछ कमजोर पड़ गई जबकि अगला उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद है।
अफ्रीकी देशों से अगले महीने से नई तुवर का आयात शुरू होने के आसार हैं जबकि म्यांमार से इसका आयात नियमित रुपये से हो रहा है।
चेन्नई बंदरगाह पर विदेशों से आयातित लेमन तुवर का भाव नरम पड़कर 10,500 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है जो जुलाई के आरंभ में 11,250 रुपए प्रति क्विंटल के ऊंचे स्तर पर था। स्वदेशी उत्पादकों को अगले मार्केटिंग सीजन में भी अपने उत्पाद का आकर्षक एवं लाभप्रद मूल्य प्राप्त होने का भरोसा है।