iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि सरकार ने अपने 100 दिनों की कार्यसूची (एजेंडा) में शीत गृहों (कोल्ड स्टोरेज) तथा गोदामों / वेयर हाउस के निर्माण के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है लेकिन विभिन्न योजनाओं को लागू करके इसके निर्माण को प्रोत्साहित अवश्य किया जा रहा है।
इसके तहत जल्दी खराब होने वाले बागवानी उत्पादों (फलों-सब्जियों) के कोल्ड स्टोरेज तथा खाद्यान्न के सुरक्षित भंडारण के लिए गोदामों / वेयर हाउस का निर्माण करवाया जा रहा है।
दरअसल विभिन्न कृषि फसलों की कटाई-तयारी के दौरान तथा उसके बाद भी क्षति की आशंका बनी रहती है जिस पर रोक लगाना आवश्यक हो गया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार फसलों की कटाई-तैयारी के दौरान तथा उसके बाद भी होने वाली औसत क्षति धान के लिए 4.77 प्रतिशत, गेहूं के लिए 4.17 प्रतिशत, मक्का के लिए 389 प्रतिशत बाजरा के लिए 4.37 प्रतिशत तथा ज्वार के लिए 5.92 प्रतिशत तक रहती है।
इसी तरह दलहन फसलों के लिए औसत नुकसान अरहर (तुवर) में 5.65 प्रतिशत, चना में 6.74 प्रतिशत, उड़द में 5.83 प्रतिशत तथा मूंग में 6.19 प्रतिशत तक देखा जाता है जबकि तिलहन फसलों में यह औसत नुकसान सरसों में 4.46 प्रतिशत, बिनौला (कॉटन सीड) में 2.87 प्रतिशत,
सोयाबीन में 7.51 प्रतिशत, करडी (सैफ्लावर) में 3.06 प्रतिशत, सूरजमुखी में 4.38 प्रतिशत और मूंगफली में 5.73 प्रतिशत तक रहता है।
इसके अलावा फलों एवं सब्जियों की फसलें भी बर्बाद होती हैं। इतना ही नहीं बल्कि सुपारी, काजू, नारियल, गन्ना, कालीमिर्च, लालमिर्च, धनिया एवं हल्दी की फसल को भी क्षति होती है। इस क्षति पर रोक लगाने के लिए उचित प्रयास करने की जरूरत है।