iGrain India - अलीगढ़ । उत्तर प्रदेश (यूपी) में पूसा 1509 बासमती धान की अगैती खेती वाली फसल की कटाई-तैयारी शुरू हो चुकी है मगर पिछले साल की तुलना में इस बार बासमती धान की औसत उपज दर में 15-20 प्रतिशत की गिरावट आने तथा मंडी भाव नीचे रहने से किसान चिंतित और निराश हैं।
शामली तथा अलीगढ़ जिले की मंडियों में इस बासमती धान का भाव 2100 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है जो पिछले साल 2800-3000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था। मंडियों में इसकी मांग भी कमजोर देखी जा रही है।
अलीगढ जिले की खैर मंडी के एक कमीशन एजेंट का कहना है कि आमतौर पर बासमती धान में औसतन 15 प्रतिशत के आसपास नमी का अंश होना चाहिए मगर इस बार 20 प्रतिशत से भी ज्यादा की उपस्थिति देखी जा रही है।
इससे मिलर्स, व्यापारी तथा निर्यातक इसकी खरीद में कम दिलचस्पी दिखा रहे हैं और 2500 रुपए प्रति क्विंटल से ऊंचा भाव देने के लिए तैयार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि शामली जिले के कुछ किसानों ने हरियाणा के निकटवर्ती करनाल की मंडी में अपना बासमती धान बेचने का प्रयास किया मगर वहां भी इसका दाम 2400 रुपए प्रति क्विंटल तक ही पहुंच सका।
कमीशन एजेंटों के एसोसिएशन का कहना है कि राइस मिलर्स इस बासमती धान की खरीद में काफी सावधानी दिखा रहे हैं क्योंकि पिछले साल ऊंचे दाम पर की गई खरीद के कारण उसे काफी घाटा हो गया था।
इस बार मंडियों में धान की आपूर्ति भी अधिक हो रही है क्योंकि गत वर्ष के ऊंचा मूल्य से उत्साहित किसानों ने बासमती धान का क्षेत्रफल बढ़ा दिया था। कुछ समीक्षकों का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बासमती चावल का भाव नरम पड़ गया है
और निर्यातक सरकार से इसका न्यूनतम निर्यात मूल्य 950 डॉलर प्रति टन के वर्तमान स्तर से घटाकर 800-850 डॉलर प्रति टन निर्यात करने का आग्रह कर रहे हैं।
ऐसी हालत में वे ऊंचे दाम पर बासमती धान खरीदने के लिए तैयार नहीं हैं - खासकर उस श्रेणी का धान, जिसमें 20 प्रतिशत से अधिक नमी का अंश उपस्थिति है।