iGrain India - हैम्बर्ग । पाकिस्तान से यूरोपीय संघ के सदस्य देश- जर्मनी को आर्गेनिक बासमती चावल की एक खेप भेजी गई थी जिसमें जीएम राइस की उपस्थिति पाई गई।
इससे वहां बवाल मच गया। ईयू (यूरोपीय यूनियन) के रेपिड अलर्ट सिस्टम कॉर फूड एंड सीड को जारी करते हुए कहा 5 अगस्त को इसकी सूचना दी गई थी हॉलैण्ड के सस्ते चावल की यह खेप जर्मनी में प्रवेश कर चुकी है।
बाद में जब जर्मनी की एक सरकारी प्रयोगशाला में इस चावल की जांच करवाई गई तब वहां भी उसमें जीएम चावल के अंश की मिलावट की पुष्टि हो गई।
लक्जेमबर्ग की प्रयोगशाला में भी इसका परीक्षण करवाया गया। इससे वहां पाकिस्तानी चावल के निर्यात के लिए खतरा बढ़ गया है।
इस घटना के बाद यूरोपीय संघ में भारतीय बासमती चावल के लिए जीआई टैग हासिल करने की उम्मीद बढ़ गई है। यदि ऐसा हुआ तो यूरोपीय बाजारों में सिर्फ भारत से निर्यात होने वाले लम्बे दाने के सुगंधित चावल को ही बासमती की मान्यता मिलेगी।
भारत ने जुलाई 2018 में ही वहां जी आई टैग के लिए आवेदन किया था जो अभी तक लम्बित है। बाद में पाकिस्तान द्वारा भी वहां एक याचिका प्रस्तुत की गई।
ध्यान देने की बात है कि जून 2021 में भारत से निर्यात हुए चावल की एक खेप में भी 500 टन जीएम चावल की मौजूदगी पाई गई थी लेकिन दोनों में अंतर यह है कि भारत का चावल बासमती की श्रेणी का नहीं था जबकि पाकिस्तानी चावल बासमती संवर्ग का है।
सामान्य चावल में जीएम राइस की एक बार मिलावट हो जाए तो उसे साफ (अलग) करना बहुत मुश्किल होता है। अमरीका में लिबर्टी लिंक जीएम राइस से छुटकारा पाने में 10 वर्ष का समय लग गया था।
विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्तानी बासमती चावल में मिलावट का यह कारण हो सकता है कि चीन के कृषि वैज्ञानिक पाकिस्तान में जीएम चावल की किस्मों के विकास एवं उत्पादन का प्रयास कर रहे हैं।
चीन तथा अन्य देशों से जीएम धान के बीज का आयात हो रहा यही और उससे निर्मित चावल बासमती की खेप में मिलाया गया होगा।
यूरोपीय संघ जीएम फसलों (उत्पादों) के प्रति संवेदनशील है और वह पाकिस्तान से चावल के आयात में सतर्कता बढ़ा सकता है।