iGrain India - नई दिल्ली । यद्यपि स्वदेशी उद्योग द्वारा सरकार पर चीनी के व्यापारिक निर्यात की अनुमति देने के लिए लगातार जबरदस्त दबाव डाला जा रहा है लेकिन वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मध्य सितम्बर से पूर्व इस सम्बन्ध में कोई निर्णय लिए जाने की संभावना नहीं है।
उद्योग सगंठनों के अनुसार 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के अंत में यानी 30 सितम्बर 2024 को मिलर्स के पास 85 लाख टन से अधिक चीनी का बकाया अधिशेष स्टॉक मौजूद रहेगा जबकि अगले सीजन में भी उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं।
सीजन की समाप्ति पर अक्टूबर 55-60 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक पर्याप्त माना जाता है इसलिए सरकार को अधिशेष स्टॉक के निर्यात की स्वीकृति प्रदान करना चाहिए।
चीनी का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद रहने से मिलर्स की क्रियाशील पूंजी का प्रवाह बाधित हो रहा है और इसके सुरक्षित भंडारण एवं रख रखाव पर खर्च भी बढ़ रहा है। उधर बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से मिलर्स द्वारा लिए गए कर्ज पर ब्याज की राशि में भी वृद्धि हो रही है।
वरिष्ठ आधिकारिक सूत्रों के अनुसार चीनी की उपलब्धता के प्रति कोई चिंता नहीं है और गन्ना का बिजाई क्षेत्र भी गत वर्ष से कुछ आगे है लेकिन सितम्बर में मानसून की वर्षा पर गहरी नजर रखने की आवश्यकता है
क्योंकि सामान्य से अधिक वर्षा होने पर यदि गन्ना के खेतों में लम्बे समय तक पानी का जमाव रहा तो फसल प्रभावित हो सकती है। मध्य सितम्बर तक पूरी तस्वीर स्पष्ट हो पाएगी और उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सितम्बर में सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान व्यक्त किया है जिससे सरकार कुछ सतर्कता बरतना चाहती है।
सरकार ने संकीर्ण आंकड़ों के साथ 322 लाख टन शीर्ष उद्योग संस्था- इस्मा ने 333 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान लगाया है जिसमें एथनॉल निर्माण में इस्तेमाल होने वाली चीनी की मात्रा पर विचार नहीं किया गया है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय सितम्बर के तीसरे सप्ताह में गन्ना के उत्पादन का अनुमान जारी करने वाला है और तब तक खाद्य मंत्रालय इंतजार करेगा। इस्मा के अनुसार गन्ना का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष के 59.44 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 56.08 लाख हेक्टेयर रह गया है।