iGrain India - चेन्नई । एक अग्रणी निर्यातक फर्म भारत से यूरोप को सोना मसूरी ब्राउन चावल की पहली खेप यूरोप को भेजने के लिए सभी आवश्यक तैयारी कर रही है। कम्पनी के प्रबंध निदेशक का कहना है कि यदि सब कुछ योजना के अनुरूप रहा तो चालू माह (अगस्त) के अंत तक इसका शिपमेंट कर दिया जाएगा।
इस चावल में कीटनाशी रसायनों के अंश को उच्चतम अवशेष स्तर (एमआरएल) की सीमा के अंदर ही रखने का प्रयास किया गया है ताकि आयातक देश में इसकी खेप को आसानी से स्वीकार किया जा सके।
प्रबंध निदेशक के मुताबिक चावल की कुछ ऐसी विशिष्ट किस्में हैं जिसका दाम बासमती चावल से भी ऊपर रह सकता है लेकिन सरकार ने उसे गैर बासमती श्रेणी में शामिल कर रखा है और इसलिए इसका निर्यात संभव नहीं हो रहा है।
मालूम हो कि जुलाई 2023 से ही ग़ैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। प्रबंध निदेशक के अनुसार सोना मसूरी ब्राउन चावल के अलावा पोन्नी चावल की कुछ खेपों का भी शिपमेंट किया जा सकता है।
इन दोनों किस्मों के चावल का उत्पादन तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर होता है और इसमें एमआरएल संबंधी नियमों-शर्तों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है।
इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) द्वारा संचालित गुणवत्ता नियंत्रण कार्यक्रम की विधि का इस्तेमाल किया गया है।
यदि सरकार की ओर से कोई नीतिगत बाधा उत्पन्न नहीं की गई तो अगले पांच वर्षों में इस चावल का निर्यात बढ़कर 1.50 लाख टन से ऊपर पहुंच सकता है।
प्रबंध निदेशक के अनुसार डाटा टेक्नोलॉजी से चावल (धान) की कृषि पद्धति एवं व्यापारिक गतिविधि में भारी बदलाव आ सकता है। जलवायु परिवर्तन एक उभरता हुए जोखिम है लेकिन कम्पनी इसे नियंत्रित करने पर काम कर रही है।
तमिलनाडु में कुछ खास किस्म के चावल का उत्पादन होता जिसकी देश-विदेश में भारी मांग रहती है। दक्षिण भारत के लोक यूरोप एवं अमरीका में भारी संख्या में रहते हैं और सोना मसूरी तथा पोन्नी चावल को काफी पसंद करते हैं।