iGrain India - मुम्बई । त्यौहारी सीजन की मांग मजबूत रहने तथा मंडियों में आवक कम होने से काबुली चना का घरेलू बाजार भाव ऊंचा एवं तेज हो गया है।
समझा जाता है कि बड़े-बड़े उत्पादकों एवं स्टॉकिस्टों द्वारा स्टॉक दबाए जाने से मंडियों में माल की सीमित आवक हो रही है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार काबुली चना पर फिलहाल 44 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ है।
यदि घरेलू प्रभाग में कीमत ज्यादा ऊंची हुई तो सरकार रूस से इसका आयात बढ़ाने के लिए सीमा शुल्क को अस्थायी तौर पर स्थगित रखने पर विचार कर सकती है। यदि शुल्क मुक्त आयात की अनुमति नहीं दी गई तो त्यौहारी सीजन में काबुली चना का भाव और भी ऊंचा हो सकता है।
आई ग्रेन इंडिया के अनुसार 21 जून को काबुली चना पर स्टॉकिस्ट सीमा विधिवत प्रभावी हुआ था जबकि 11 जुलाई को इसे हटा लिया गया। तब से अब तक इंदौर मार्केट में इसका भाग करीब 3100 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ चुका है।
आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि यदि एशियन पूल के काबुली चना पर आयात शुल्क में कटौती की जाती है तो घरेलू बाजार भाव में कुछ नरमी आ जाएगी।
दरअसल रूसी काबुली चना का बाहरी आवरण बहुत पतला होता है और इसलिए बेसन निर्माण में मिलर्स द्वारा इसका उपयोग किया जा सकता है। त्यौहारी सीजन के दौरान देश में बेसन की मांग एवं खपत बहुत बढ़ जाती है।
भारत से कई देशों को काबुली चना का निर्यात भी हो रहा है जिसमें संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, अल्जीरिया एवं चीन आदि शामिल हैं। इससे भी कीमतों को समर्थन मिल रहा है।
लेकिन घरेलू बाजार में तेजी के साथ ही वैश्विक निर्यात बाजार में भारतीय काबुली चना की प्रतिस्पर्धी क्षमता घटती जा रही है।
मैक्सिको सहित अन्य निर्यातक देशों की तुलना में भारतीय उत्पाद का भाव ऊंचा हो गया है। कनाडा तथा रूस भी इसके प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हैं।
अप्रैल-मई 2024 के दौरान हो गया है। मैक्सिको सहित अन्य निर्यातक देशों की तुलना में भारतीय उत्पाद का भाव ऊंचा हो गया है।
कनाडा तथा रूस भी इसके प्रमुख निर्यातक देशों में शामिल हैं। अप्रैल-मई 2024 के दौरान भारत से करीब 40 हजार टन काबुली चना का निर्यात हुआ
जो वर्ष 2023 की समान अवधि के शिपमेंट 45 हजार टन से कम मगर वर्ष 2022 के इन्हीं महीनों के निर्यात 23 हजार टन से काफी अधिक है। भारत में काबुली चना की घरेलू खपत भी अन्य निर्यातक देशों से ज्यादा होती है।