iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार फिलहाल चावल के निर्यात के बजाए घरेलू प्रभाग में उसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनाने को प्राथमिकता दे रही है।
हालांकि सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है जिससे आंतरिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में कोई कठिनाई नहीं होगी और साथ ही साथ अक्टूबर से नए धान-चावल का आना भी शुरू हो जाएगा
जिससे सरकारी स्टॉक में निरन्तर बढ़ोत्तरी होती रहेगी लेकिन सरकार को लगता है कि सफेद गैर बासमती चावल का निर्यात खोलने का अभी माकूल समय नहीं है।
खरीफ कालीन धान का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से आगे है और देश में मानसून की अच्छी वर्षा भी हो रही है। इससे चावल के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद की जा रही है।
ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार धान के कुल क्षेत्रफल तथा फसल की स्थिति का आंकलन करने के बाद ही सफेद चावल का निर्यात खोलने या बंद रखने का निर्णय लेना चाहती है। यह आंकलन सितम्बर के तीसरे- चौथे सप्ताह में होने की उम्मीद है।
सरकारी गोदामों में न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा के सापेक्ष करीब ढाई-तीन गुणा अधिक चावल का स्टॉक मौजूद है जिसमें धान की वह मात्रा भी शामिल है जिसकी कस्टम मिलिंग से खाद्य निगम को चावल प्राप्त होने वाला है।
घरेलू प्रभाग में भी चावल की आपूर्ति की स्थिति अच्छी है लेकिन इसके दाम में नरमी आने के संकेत नहीं मिल रहे हैं।
सरकार को आशंका है कि गैर बासमती सफेद (कच्चे) चावल का व्यापारिक निर्यात घरेलू बाजार पर मनोवैज्ञानिक असर डाल सकता है और इसकी कीमतों में नरमी लाने के सरकारी प्रयास को उससे धक्का लग सकता है। अक्टूबर-नवम्बर में यदि हालत अनुकूल रही तो निर्यात खोलने पर विचार किया जा सकता है।