iGrain India - छोटी या हरी इलायची का बाजार इस वर्ष कम आवक एवं ऊंची कीमत का साक्षी बन सकता है क्योंकि सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- केरल में प्रतिकूल मौसम तथा प्राकृतिक आपदाओं से इसकी फसल को भारी नुकसान हुआ है।
उधर ग्वाटेमाला में भी फसल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई है। आगामी महीनों में घरेलू एवं वैश्विक बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति काफी हद तक जटिल रहने की आशंका है जिससे कीमतों का स्तर ऊंचा रह सकता है।
भारत में इस सुगंधित मसाले की मांग जोर पकड़ने लगी है क्योंकि त्यौहारी सीजन की खपत को पूरा करने के लिए दिसावरी व्यापारी एवं स्टॉकिस्ट इसकी खरीद में सक्रियता दिखाने लगे हैं।
लेकिन उत्पादक केन्द्रों में अभी माल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं है। यद्यपि पिछले साल देश में छोटी इलायची का बेहतर उत्पादन हुआ था लेकिन उसके अधिकांश भाग का कारोबार पहले ही हो चुका है।
सामान्य तौर पर भारत में इलायची की नई फसल की तुड़ाई-तैयारी जून-जुलाई से आरंभ हो जाती है मगर इस बार मौसम ने इसकी इजाजत नहीं दी।
केरल के सबसे प्रमुख उत्पादक जिले- इडुक्की में चालू वर्ष के शुरूआती पांच महीनों तक वर्षा का अभाव तथा तापमान ऊंचा रहा जिससे सूखे का गंभीर संकट पैदा हो गया।
ध्यान देने की बात है कि इलायची के बेहतर उत्पादन के लिए मानसून पूर्व की अच्छी बारिश होना आवश्यक होता है अन्यथा लताओं के सूखने का खतरा रहता है।
इस बार कई क्षेत्रों में लताएं सूख गई और बाकी बचे भाग में भी दाने कम आने की सूचना मिली। मोटे तौर पर इलायची के उत्पादन में 40-50 प्रतिशत तक की जबरदस्त गिरावट आने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
छोटी इलायची के अंतर्राष्ट्रीय निर्यात बाजार में भारत को मुख्यत: ग्वाटेमाला की सख्त चुनौती एवं कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है जो संसार में इसका सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है।
लेकिन वहां अल नीनो की वजह से सूखे का गंभीर संकट पैदा होने के कारण इलायची की फसल को भारी नुकसान होने की सूचना मिल रही है जिससे कीमतों में बढोत्तरी हो गई है।
प्रमुख आयातक देश इस बार भारत की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहे थे मगर यहां भी स्थिति ठीक नहीं है। नीलामी केन्द्रों में भाव तेज होने लगा है। यदि उत्पादकों ने स्टॉक दबाने का प्रयास किया तो इलायची के दाम में आगे अच्छी तेजी आ सकती है।