iGrain India - कोच्चि । केन्द्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने मूल्य निगरानी प्रणाली की सीमा में कालीमिर्च को भी शामिल करने का निर्णय लिया है जो 1 अगस्त 2024 से प्रभावी हो चुक है।
लेकिन कालीमिर्च के उत्पादकों एवं व्यापारियों को सरकार का यह फैसला पसंद नहीं आ रहा है और वे इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि कालीमिर्च को आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) अथवा मूल्य सूचकांक जिंस की परिधि से बाहर रखा जाना चाहिए क्योंकि यह सीधे उपभोक्ताओं को प्रभावित नहीं या नगण्य करती है। इसका कारण यह है कि कालीमिर्च की प्रति व्यक्ति खपत बहुत कम है।
भारतीय कालीमिर्च एवं मसाला व्यापारी, उत्पादक एवं प्लांटर्स कंसोर्टियम की केरल इकाई (शाखा) ने सरकार के निर्णय पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि कालीमिर्च के स्टॉक धारण के लिए और अधिक नियंत्रण एवं सीमांकन लागू हो सकता है जिसकी घोषणा निकट भविष्य में की जा सकती है। इससे उत्पादकों की आमदनी पर प्रत्यक्ष रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
वैश्विक बाजार में कालीमिर्च का भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा है जबकि घरेलू प्रभाग में इसके थोक एवं खुदरा मूल्य के बीच भारी अंतर बना हुआ है।
इसे देखते हुए उत्पादकों एवं व्यापारियों की आशंका है कि सरकार कीमतों को घटाने के लिए अनेक नियंत्रात्मक उपाय लागू कर सकती है।
कंसोर्टियम का कहना है कि सरकार को खुदरा पैक में साबुत कालीमिर्च एवं इसके पाउडर की कीमतों को नियंत्रित करने का ठोस प्रयास करना चाहिए जबकि कालीमिर्च को सभी नियंत्रणों के दायरे से बाहर रखना चाहिए।
अखिल भारतीय मसाला निर्यातक फ़ोरम के चेयरमैन को हैरानी हो रही है कि सरकार ने कालीमिर्च को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में कैसे शामिल कर लिया क्योंकि यह मात्र एक मसाला है
जो खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाता है। इसकी खपत भी बहुत कम होती है। यदि सरकार कालीमिर्च के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऑफर करे तो इससे उत्पादकों को राहत मिल सकती है।