iGrain India - करनाल । बासमती चावल के एक अग्रणी निर्यातक एवं अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ (ऐरिया) के पूर्व अध्यक्ष ने केन्द्र सरकार को एक पत्र भेजकर चावल की वर्तमान निर्यात नीति की समीक्षा करने का आग्रह किया है।
पत्र में कहा गया है कि मौजूदा समय में 100 प्रतिशत टूटे चावल तथा गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है,
गैर बासमती सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है और बासमती चावल के लिए 950 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) नियत किया गया है।
केन्द्रीय वाणिज्य सचिव एवं खाद्य सचिव को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि वर्तमान चावल निर्यात नीति में सुधार करने की जरूरत है।
बेशक सरकार ने अपनी नीतियों के सहारे चावल के बढ़ते घरेलू बाजार भाव को काफी हद तक नियंत्रित कर दिया है लेकिन अब समय आ गया है कि सही स्थिति का मूल्यांकन करते हुए नीति में संशोधन-परिवर्तन किया जाए।
पत्र के अनुसार अनेक निर्यातक सरकारी नीति की खामियों का फायदा उठा रहे हैं। सरकार को चावल की सभी किस्मों के बीच क्षेत्रीय अंतर और भेदभाव को दूर करना चाहिए।
ऐरिया के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि गैर बासमती चावल पर 100 डॉलर प्रति टन का एक समान निर्यात शुल्क लगाया जाए और यदि संभव हो तो इसमें बासमती चावल को भी शामिल किया जाए।
इसके बदले में चावल के निर्यात को सभी नियमों-नियंत्रणों से मुक्त किया जाना चाहिए। इससे सरकार के राजस्व में इजाफा होगा।
ऐसी खबरें आ रही हैं कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा एवं पंजाब में पूसा 1509 एवं पूसा पीबी 1 धान का भाव घटकर काफी नीचे आ गया है जो चिंताजनक बात है और इससे उत्पादकों को भारी आर्थिक हानि हो रही है।