iGrain India - जीरा कीमतों में गिरावट : मगर अधिक मंदे की संभावना नहीं नई दिल्ली । चालू सप्ताह के दौरान जीरा की कीमतों में नरमी रही। हालांकि चालू वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान अभी तक जीरे का निर्यात गत वर्ष की तुलना में अधिक रहा है लेकिन इस वर्ष अधिक पैदावार के कारण मंडियों में आपूर्ति बराबर बनी हुई है। उल्लेखनीय है कि कीमतों में सुधार होने के साथ ही मंडियों में जीरे की आवक बढ़नी शुरू हो जाती है। क्योंकि किसानों के पास पर्याप्त स्टॉक है। भावों में मन्दा होने के कारण इस वर्ष उत्पादकों ने जीरे का स्टॉक रोका हुआ है। और वह भाव बढ़ने का इंतजार कर रहा है। क्योंकि गत वर्ष के रिकॉर्ड भाव 640/650 रुपए प्रति किलो भी किसानों ने देखे हैं। चालू सप्ताह के दौरान हाजिर एवं वायदा बाजार मंदे रहे। वायदा बाजार में अक्टूबर माह का जीरा 26690 रुपए खुला था जोकि सप्ताह के मध्य में नीचे में 24860 रुपए बनने के पश्चात सप्ताह के अंत में 25500 रुपए पर बंद हुआ। नवम्बर माह का जीरा 25785 रुपए खुलने के पश्चात सप्ताह के मध्य में 24510 रुपए बन गया था मगर सप्ताह के अंत में सुधर कर 25115 रुपए पर बंद हुआ है। हाजिर बाजार हालांकि एक ओर जहां बाजार में निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है वहीं दूसरी तरफ लोकल में व्यापार सीमित हो रहा है इसके अलावा वायदा में भी भाव मंदे के साथ बोले जाने से हाजिर बाजार में जीरे के भाव 4/5 रुपए प्रति किलो मंदे के साथ बोले गए हैं। वर्तमान में ऊंझा मंडी को छोड़कर अन्य मंडियों में जीरे की दैनिक आवक भी घट गई है। ऊंझा मंडी में एवरेज क्वालिटी जीरे का भाव घटकर 22500/24500 रुपए पर आ गए हैं। सूत्रों का मानना है कि आगामी दिनों में जीरे के दाम सुधरने चाहिए। क्योंकि भाव काफी घट चुके हैं। साथ ही मंडियों में आवक कम रह गई है। आवक प्रमुख मंडी ऊंझा में जीरे की आवक 10/12 हजार बोरी की हो रही। जबकि अन्य मंडियों में आवक काफी कम चल रही है। गुजरात की गोंडल मंडी में आवक 800/1000 बोरी एवं राजकोट 1500/1600 बोरी की रह गई है। राजस्थान की मेड़ता एवं नागौर मंडी में आवक 800/1000 बोरी की चल रही है। अन्य मंडियों में भी आवक कम है। अधिक मन्दा नहीं जानकार सूत्रों का कहना है कि जीरे की वर्तमान कीमतों में अब अधिक मन्दा नहीं है। क्योंकि भाव न्यूनतम स्तर पर चल रहे हैं। इसके अलावा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष उत्पादन केन्द्रों पर जीरे की बिजाई का क्षेत्रफल गत वर्ष की तुलना में कम रहेगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 के लिए प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात एवं राजस्थान में जीरे की बिजाई का क्षेत्रफल 12.64 लाख हेक्टेयर का रहा था जबकि वर्ष 2023 में बिजाई का क्षेत्रफल 7.73 लाख हेक्टेयर का रहा था। बिजाई कम रहने एवं बढ़ते निर्यात के कारण आगामी दिनों में जीरे के भाव सुधर सकते हैं। जीरा निर्यात अधिकचालू सीजन के दौरान जीरे के दामों में गिरावट बनी रहने के कारण जीरा निर्यात में शानदार वृद्धि दर्ज की गई है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के अप्रैल-सितम्बर माह के दौरान जीरे का निर्यात गत वर्ष की तुलना में अधिक हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्रैल 2024 में जीरे का निर्यात 41185 टन का हुआ जबकि गत वर्ष 2023 में निर्यात 17169 टन का किया गया था। मई - 2023 में जीरे का निरयत 25975 टन का किया गया था जोकि मई - 2024 में घटकर 22885 टन का रह गया। जून - 2024 में निर्यात गत वर्ष के 9829 टन के मुकाबले 16810 टन का किया गया। जुलाई - 2023 में जीरा का निर्यात 7994 टन का हुआ था जोकि जुलाई - 2024 में बढ़कर 20217 टन के स्तर पर पहुंच गया। अगस्त माह में निर्यात गत वर्ष के 7640 टन के मुकाबले 14372 टन का हो गया। जबकि सितम्बर 2024 में जीरे का निर्यात 17433 टन का हुआ है। गत वर्ष सितम्बर में निर्यात 7196 टन का रहा था। गत वर्ष कीमतों में रिकॉर्ड तेजी आने के कारण जीरे का निर्यात प्रभावित रहा।चार वर्षों में निर्यात विगत चार वर्षों से जीरे के निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही है। मसाला बोर्ड द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान जीरा का निर्यात 298423 टन का हुआ था। जोकि वर्ष 2021-22 में घटकर 216971 टन पर आ गया। वर्ष 2022-23 में निर्यात 186509 टन का किया गया। 2023-24 में भी निर्यात बुरी तरह से प्रभवित हुआ जोकि गत सीजन में जीरे की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी दर्ज की गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2023-24 के दौरान जीरे का 165269 टन का निर्यात ही हुआ है। अभी तक के निर्यात प्रदर्शन को देखते हुए वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के दौरान जीरे का निर्यात गत वर्ष की तुलना में अधिक रहेगा।