iGrain India - नई दिल्ली । ऐसी सूचना मिल रही है कि द्विपक्षीय करार के अंतर्गत भारत सरकार ने मालदीव के लिए 64,494.33 टन चीनी के निर्यात का कोटा आवंटित किया था लेकिन कुछ भारतीय निर्यातकों द्वारा इसका दुरूपयोग किया गया और इस कोटे की चीनी का कुछ भाग मालदीव को भेजने के बजाए श्रीलंका तथा मलेशिया जैसे देशों को भेज दिया गया।
हालांकि आमतौर से जून 2023 से ही चीनी के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है मगर सरकारी स्तर पर इसकी सीमित मात्रा का कोटा कुछ खास देशों के लिए जारी किया जाता है।
प्राप्त सूचना के अनुसार मालदीव के लिए नियत कोटे में से लगभग 80 कंटेनरों में लदी चीनी श्रीलंका के कोलम्बो बंदरगाह पर पहुंच गई है।
30 सितम्बर 2024 को इसके लिए बिल ऑफ लेंडिंग तैयार की गई थी जिससे पता चलता है कि न्हावा शेवा बंदरगाह से 270 टन चीनी का निर्यात शिपमेंट हुआ था और इसका अंतिम गंतव्य स्थान कोलम्बो बंदरगाह था।
बिल में दावा किया गया था कि यह कार्गो (जहाज) मालदीव की राजधानी माले के लिए जा रहा था और इसकी जिम्मेवारी भेजने वाले की थी।
इस बिल में एक दिलचस्प बात कही गई थी कि माले बंदरगाह पर चीनी की खेप को उतारने के बाद खाली कंटेनरों को प्रेषक की तरफ से कोलम्बो बंदरगाह पर 'कैरियर नेमिनेटेड डिपो' को सुदुर्प करना होगा।
समीक्षकों का कहना है कि क्या माले बंदरगाह इतना छोटा है कि वहां से कंटेनरों को कोलम्बो वापस भेजना आवश्यक समझा गया ? हकीकत यह है कि यह जहाज माले पहुंचा ही नहीं और इस पर लदी चीनी को श्रीलंकाई व्यापारियों के हाथों बेच दिया गया।
इससे पूर्व मार्च में न्हावा शेवा बंदरगाह से ही 270 टन चीनी का शिपमेंट हुआ था जो मलेशिया के क्लांग बंदरगाह पर पहुंच गया था जबकि इसे माले बंदरगाह जाना था। ध्यान देने की बात है कि भारत सरकार ने मलेशिया के लिए चीनी का कोई निर्यात कोटा जारी नहीं किया था।