iGrain India - केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य- पंजाब में इन दिनों अनाज भंडारण के लिए गोदामों / वेयर हाउस में जगह की भारी कमी होने से खरीफ कालीन धान की सरकारी खरीद पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और इसकी गति पिछले साल से काफी धीमी देखी जा रही है।
अब तब किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जो धान खरीदा गया है उसका बड़ा भाग मंडियों या क्रय केन्द्रों में ही मौजूद है क्योंकि इसका जल्दी-जल्दी उठाव नहीं हो रहा है। चावल मिल मालिकों एवं शेलर्स के साथ भी कुछ समस्या है।
हैरत की बात है कि भंडारण संकट के बारे में राज्य तथा केन्द्र सरकार को पहले से ही पूरी जानकारी थी लेकिन समय रहते इसे दूर करने का गंभीर प्रयास नहीं किया गया।
अब जब समस्या सिर पर आ गई तब जल्दबाजी में गोदामों को खाली करने का प्रयास हो रहा है लेकिन इसमें तीन-चार माह का समय लग जाएगा और तब तक धान-चावल का स्टॉक कहां रखा जाएगा यह एक विचारणीय प्रश्न है।
राहत की बात है कि जाड़े के दिनों में पंजाब में बारिश बहुत कम होती है लेकिन कभी-कभार पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता से असामयिक वर्षा हो जाती है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि पंजाब में खाद्यान्न भंडारण की समस्या लम्बे समय तक बरकरार रहने की आशंका व्यक्त की जा रही है क्योंकि वहां उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है मगर नए-नए गोदामों का निर्माण नहीं हो रहा है।
इसके अलावा चावल के साथ-साथ आगामी रबी मार्केटिंग सीजन में गेहूं के सुरक्षित भंडारण का संकट भी उत्पन्न हो सकता है क्योंकि सरकार गेहूं के लिए आरक्षित गोदामों में अस्थायी रूप से धान-चावल का भंडारण करने की योजना बना रही है।
गेहूं का खरीद अगले वर्ष मार्च-अप्रैल में शुरू होगी। धान की खरीद का 90 प्रतिशत भाग मंडियों में पड़ा हुआ है जबकि राइस मिलर्स इसका उठाव एवं भंडारण करने को तैयार नहीं हैं। धान की खरीद की गति काफी सुस्त है।
केन्द्रीय खाद्य मंत्री ने कहा है कि पंजाब में 124 लाख टन चावल (इसके समतुल्य धान) की खरीद का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा मगर वर्तमान रफ्तार को देखते हुए ऐसा होना मुश्किल लगता है।
राज्य में 30 नवम्बर तक धान की सरकारी खरीद होनी है जबकि 23 अक्टूबर तक केवल 37.68 लाख टन धान खरीदा गया जो गत वर्ष की समान अवधि की खरीद 49 लाख टन से काफी कम है। राज्य में इस बार 185 लाख टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है।