iGrain India - डेस मोइन्स । चीन में पहले सोयाबीन का सर्वाधिक आयात अमरीका से होता था मगर पिछले सात-आठ साल से चीन के सोयाबीन बाजार पर ब्राजील का कब्जा हो गया है जिससे अमरीका को अब नए-नए बाजारों की तलाश के लिए विवश होना पड़ रहा है। अमरीका सोयाबीन के उत्पादन एवं निर्यात में भी ब्राजील से पिछड़कर दूसरे नम्बर पर आ चुका है। अर्जेन्टीना तीसरे नम्बर पर स्थिर है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार सोयाबीन निर्यात के लिए अमरीका की नजर भारत पर भी केन्द्रित है लेकिन यहां निकट भविष्य में सोयाबीन के आयात में भारी वृद्धि होना मुश्किल है क्योंकि सोयामील की घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए भारत में फिलहाल सोयाबीन का पर्याप्त उत्पादन हो रहा है।
इसके अलावा एक समस्या यह है कि अमरीका में मुख्यत: जीएम श्रेणी के सोयाबीन का उत्पादन होता है जबकि भारत में इसके आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
यह हो सकता है कि भारत में अमरीका से सोया तेल के आयात में बढ़ोत्तरी हो जाए। वैसे भारत में अभी सोया तेल का ही उत्पादन होता है।
यह तथ्य भी अपनी जगह रही है कि भारत में सोयाबीन का विशाल अधिशेष उत्पादन नहीं होता है और पिछले कई वर्षों से इसकी पैदावार एक निश्चित दायरे में लगभग स्थिर बनी हुई है।
इसके फलस्वरूप कई बार भारत के पॉल्ट्री उद्योग को विदेशों से सोयामील का आयात करने के लिए विवश होना पड़ता है।
लेकिन चीन का विकल्प बनने की संभावना से भारत अभी बहुत दूर है इसलिए अमरीका को कई अन्य बाजारों पर ध्यान देने की आवश्यकता पड़ेगी।
भविष्य में जब भारतीय पॉल्ट्री सेक्टर का तेजी से विकास-विस्तार होगा और सोयाबीन का घरेलू उत्पादन उसके अनुरूप नहीं बढ़ेगा तब इसके आयात में वृद्धि हो सकती है।
पाकिस्तान में सोयाबीन का आयात बढ़ सकता है और अमरीका ने वहां अपना प्रयास तेज कर दिया है। अमरीका एक एक लक्ष्य अफ्रीकी देश- अल्जीरिया भी है जहां सोयाबीन के आयात में अच्छी बढ़ोत्तरी हो सकती है।