iGrain India - अहमदाबाद । हालांकि रूई के नए माल की जोरदार आवक के कारण नवम्बर-दिसम्बर 2024 तक बाजार में नरमी या स्थिरता का माहौल बरकरार रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है लेकिन उसके बाद आपूर्ति का दबाव घटने पर कीमतों में तेजी-मजबूती का रूख बन सकता है।
इसका प्रमुख कारण कपास के उत्पादन में गिरावट आना तथा मांग एवं खपत का सामान्य होना माना जा रहा है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कपास का घरेलू उत्पादन 2023-24 सीजन के 325.29 लाख गांठ से 7 प्रतिशत घटकर 2024-25 के सीजन में 302.25 लाख गांठ पर सिमटने का अनुमान लगाया है जबकि इसकी खपत 313 लाख गांठ होने की संभावना व्यक्त की है जो पिछले सीजन के लगभग बराबर ही है। उल्लेखनीय है कि कपास की प्रत्येक गांठ 170 किलो की होती है।
एसोसिएशन के मुताबिक आपूर्ति एवं उपलब्धता कम होने से रूई का निर्यात 2023-24 सीजन के 28.50 लाख गांठ से 37 प्रतिशत लुढ़ककर 2024-25 के सीजन में 18 लाख गांठ पर सिमटने की संभावना है जबकि इसका आयात 17.50 लाख गांठ से 43 प्रतिशत उछलकर 25 लाख गांठ पर पहुंचने के आसार हैं।
पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान कपास का उत्पादन देश के मध्यवर्ती भाग में 11.05 लाख गांठ, उत्तरी क्षेत्र में 9.62 लाख गांठ तथा दक्षिणी राज्यों में 1.85 लाख गांठ सहित कुल 23.04 लाख गांठ घटने की संभावना है।
दरअसल राष्ट्रीय स्तर पर गत वर्ष की तुलना में इस बार खरीफ सीजन के दौरान कपास का कुल बिजाई क्षेत्र करीब 14 लाख हेक्टेयर की जोरदार गिरावट के साथ 112.90 लाख हेक्टेयर पर अटक गया जबकि कुछ इलाकों में बाढ़-वर्षा से भी फसल को नुकसान हुआ।
वैसे बची हुई फसल की हालत काफी अच्छी है और इसकी औसत उपज दर बेहतर रहने की उम्मीद है इसलिए कुछ उत्पादन में ज्यादा गिरावट नहीं आएगी।
तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- गुजरात, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना के साथ-साथ राजस्थान, हरियाणा, पंजाब एवं आंध्र प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में भी कपास के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आई। केवल कर्नाटक एवं उड़ीसा में ही कपास का रकबा गत वर्ष के लगभग बराबर या इससे कुछ ऊपर रहा।