iGrain India - नई दिल्ली । पूर्वी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रमुख उत्पादक इलाकों में मौसम की हालत फसल के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं होने के कारण बड़ी (काली) इलायची का उत्पादन सामान्य स्तर से 35-40 प्रतिशत कम होने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिससे घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में आमतौर पर तेजी-मजबूती का वातावरण बना रह सकता है।
नेपाल तथा भूटान जैसे अन्य पड़ोसी उत्पादक देशों में भी बड़ी इलायची की फसल कमजोर आंकी गई है और वहां भी इसका दाम तेज हो गया है। इसके फलस्वरूप भारत में इसका आयात करना आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद नहीं माना जा रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के थोक किराना बाजार में केंचीकट इलायची का भाव 1510/1520 रुपए प्रति किलो बताया जा रहा है जबकि नेपाल से इसके आयात का खर्च 1500/1600 रुपए प्रति किलो के बीच बैठ रहा है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक यह लगातार तीसरा वर्ष है जब बड़ी इलायची के घरेलू उत्पादन में भारी गिरावट आने के संकेत मिल रहे हैं। प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में नई फसल की तुड़ाई-तैयारी का पहला चरण समाप्त हो चुका है और अब दूसरे चरण की प्रक्रिया आरंभ करने की तैयार चल रही है।
मात्रा और क्वालिटी की दृष्टि से यह चरण सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके फलस्वरूप नवम्बर में अच्छी क्वालिटी के माल की आवक बढ़ने की संभावना है जबकि लग्नसरा की मांग भी रहेगी। इससे बाजार काफी हद तक मजबूत रह सकता है।
एक खास बात यह है कि भारत, नेपाल एवं भूटान में बड़ी इलायची का पिछला बकाया स्टॉक नगण्य है क्योंकि घरेलू खपत के साथ-साथ वहां से इसका भारी निर्यात भी होता रहा जबकि उत्पादन की स्थिति कमजोर रही।
समीक्षकों का कहना है कि पिछले स्टॉक का मजबूत सहारा नहीं मिलने से बाजार में आगामी महीनों के दौरान कुछ और तेजी आ सकती है लेकिन अत्यन्त ऊंचे दाम पर इसकी मांग भी प्रभावित होने की आशंका रहेगी।
सामान्यतः बड़ी इलायची की कीमतों में आगे जोरदार गिरावट या जबरदस्त तेजी आना मुश्किल लगता है मगर सामान्य उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।