iGrain India - जालंधर । एक तरफ चालू वर्ष के दौरान पंजाब में धान का शानदार उत्पादन होने के संकेत मिल रहे हैं तो दूसरी ओर इसकी सरकारी खरीद की गति बहुत धीमी है जिससे किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अपना उत्पाद बेचने में भारी कठिनाई हो रही है।
मंडियों में धान रखने की जगह नहीं है क्योंकि सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदे गए धान के स्टॉक का उठाव बहुत धीमी रफ्तार से हो रहा है।
यद्यपि केन्द्रीय खाद्य मंत्री बार-बार आश्वासन दे रहे हैं कि पंजाब में किसानों से धान का प्रत्येक दाना खरीदा जाएगा लेकिन यह ध्यान रखना अवश्यक है कि राज्य में रबी कालीन फसलों और खासकर गेहूं की अगैती बिजाई होती है और इसलिए किसान जल्दी से जल्दी अपना धान बेचना चाहते हैं।
कुछ किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार जान बूझकर धान खरीदने की रफ्तार को धीमा रख रही है क्योंकि केन्द्रीय पूल में पहले से ही चावल का विशाल स्टॉक मौजूद है और अन्य उत्पादक राज्यों में भी धान की खरीद होनी है।
पिछले कुछ सप्ताहों से पंजाब के किसान बेहद चिंतित परेशान और क्रोधित हैं क्योंकि उन्हें अपना उत्पाद बेचने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है।
पंजाब में करीब 60 जगहों पर किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी है। इसमें हजारों किसान भाग ले रहे हैं। पटियाला जिले में 8-10 दिन पूर्व काटे गए धान की बिक्री अभी तक संभव नहीं हो पाई है जबकि उसे क्रय केन्द्रों पर लाया जा चुका है।
सरकारी एजेंसियां अब नमी का ऊंचा अंश बताकर धान खरीदने से इंकार कर रही हैं जबकि भंडारण स्थलों की कमी का भी बहाना किया जा रहा है। कई जगह तो यह चर्चा भी हो रही है कि धान की खरीद नहीं की जाएगी।
किसानों ने 25 अक्टूबर को पटियाला-संगरूर रोड को जाम कर दिया था। अधिकारियों ने धान खरीदने का आश्वासन देकर मामला तो शांत करवाया लेकिन खरीद की प्रक्रिया अभी तक आरंभ नहीं हो सकी है।
राज्य में धान की खरीद का सीजन 1 अक्टूबर से ही शुरू हो गया था मगर आरंभ से ही इसकी गति धीमी रही। पंजाब में इस बार 185 लाख टन धान (124 लाख टन चावल) की खरीद का लक्ष्य रखा गया है मगर यह हासिल होना मुश्किल लग रहा है।