iGrain India - मुम्बई । एक अग्रणी उद्योग संस्था- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) ने कहा है कि 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान भारत में वनस्पति तेलों का आयात घटकर 150 लाख टन के करीब सिमट सकता है जो 2023-24 सीजन के अनुमानित आयात 160 लाख टन से 10 लाख टन तथा 2022-23 सीजन के रिकॉर्ड आयात 165 लाख टन से 15 लाख टन कम है।
एसोसिएशन के मुताबिक मौसम की अनुकूल स्थिति के कारण इस बार तिलहन फसलों का घरेलू उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है जिससे खाद्य तेलों का बेहतर उत्पादन होगा और विदेशों से इसके आयात की आवश्यकता घट जाएगी।
एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक के अनुसार फसलों की शानदार स्थिति को देखते हुए 2024-25 के पूरे मार्केटिंग सीजन के दौरान तिलहनों का कुल घरेलू उत्पादन 30 से 40 लाख टन तक बढ़ने की उम्मीद है जिससे घरेलू मांग को पूरा करने के बाद करीब 10 लाख टन का अधिशेष स्टॉक बच सकता है।
इंडोनेशिया के बाली में आयोजित पाम तेल कांफ्रेंस में बोलते हुए 'सी' के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि मौसम एवं मानसून की हालत अनुकूल रहने से भारत में चालू वर्ष के दौरान सोयाबीन तथा मूंगफली की उपज दर एवं पैदावार में भारी सुधार आया है जबकि रबी सीजन में सरसों का उत्पादन भी बढ़ने की संभावना है।
2023-24 के मार्केटिंग सीजन के दौरान भारत में पाम तेल का आयात घटकर 92 लाख टन पर सिमटने का अनुमान है जो 2022-23 सीजन के आयात 98 लाख टन से 6 लाख टन कम है।
दूसरी ओर सूरजमुखी तेल का आयात इसी अवधि में 29 लाख टन से बढ़कर 35 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है। पाम तेल का भाव ऊंचा होने से भारतीय आयातकों द्वारा सूरजमुखी तेल का आयात बढ़ाने पर जोर दिया गया।
भारत में खाद्य तेलों के कुल आयात में पाम तेल की भागीदारी करीब 60 प्रतिशत रहती है। चालू वर्ष के दौरान मलेशिया में पाम तेल का बेंचमार्क मूल्य लगभग 30 प्रतिशत ऊंचा हो गया जिससे इसकी खरीद में भारतीय आयातकों की दिलचस्पी घट गई।
सितम्बर की तुलना में अक्टूबर के दौरान भारत में पाम तेल का आयात 59 प्रतिशत बढ़ गया क्योंकि वहां जोरदार त्यौहारी मांग बनी हुई थी।