iGrain India - कोच्चि । प्रमुख उत्पादक इलाकों में मौसम की हालत प्रतिकूल रहने, प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप होने तथा फंगल रोग का आघात बढ़ने से छोटी इलायची के उत्पादन में भारी गिरावट आने की संभावना है।
इसका बाजार भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार है जबकि वर्ष 2025 की पहली तिमाही में यह और भी तेज रहने की उम्मीद है।
एक अग्रणी उद्योग विश्लेषक के अनुसार वर्ष 2023 के दौरान लगभग 25 हजार टन इलायची का उत्पादन हुआ था जबकि चालू वर्ष में घटकर 15 से 18 हजार टन के बीच सिमट जाने की संभावना है।
इलायची का औसत नीलामी मूल्य जनवरी 2024 में 1650 रुपए प्रति किलो चल रहा था जो दिसम्बर तक आते-आते बढ़कर 2950 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया।
मांग एवं आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए यदि मार्च-अप्रैल 2025 तक इसका दाम और भी उछलकर 3300-3500 रुपए प्रति किलो पर पहुंच जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
दरअसल उत्पादन घटने की आशंका से उत्पादकों ने इलायची का स्टॉक दबाना शुरू कर दिया है जिससे प्रमुख नीलामी केन्द्रों में इसकी आवक कम हो रही है।
दूसरी ओर मुस्लिम बहुल देशों में आगामी महीनों के दौरान इलायची में रमजान की अच्छी मांग निकलने की संभावना है जिससे कीमतों को ऊपर उठने का अवसर मिल सकता है।
ग्वाटेमाला में कमजोर उत्पादन के कारण इलायची का निर्यात ऑफर मूल्य बढ़ गया है जिससे वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पाद की प्रतिस्पर्धी क्षमता बेहतर होने की उम्मीद है।
वहां अगले साल भी उत्पादन ज्यादा बढ़ने की उम्मीद नहीं है जिससे इलायची का दाम भारतीय मुद्रा में 2300 रुपए प्रति किलो से ऊपर रह सकता है।
ग्वाटेमाला में इलायची का उत्पादन 17,500 टन या लगभग 45 प्रतिशत घटकर 2024-25 के सीजन में सीमित रह जाने की संभावना है।