iGrain India - अहमदाबाद । रूई के घटते निर्यात और बढ़ते आयात को देखते हुए गुजरात के व्यापारियों एवं संघों-संगठनों ने सरकार से कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में कटौती की मांग शुरू कर दी है।
उल्लेखनीय है कि 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के लिए केन्द्र सरकार ने कपास का एमएसपी बढ़ाकर मीडियम रेशे वाली श्रेणी के लिए 7121 रुपए प्रति क्विंटल तथा लम्बे रेशेवाली किस्मों के लिए 7521 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है।
गुजरात देश में रूई का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है। गुजकोट ट्रेड एसोसिएशन के सचिव का कहना है कि यदि एमएसपी वर्तमान स्तर पर बरकरार रहा तो एक बार फिर कपास क्षेत्र के कारोबार की गति धीमी रहेगी और कॉटन टेक्सटाइल उद्योग को अपनी गतिविधियां बढ़ाने में कठिनाई होगी।
एमएसपी के बजाए सरकार को कृषक समुदाय के लिए अधिक सब्सिडी देकर रूई के मुक्त बाजार तंत्र को प्रोत्साहन करना चाहिए।
उत्पादकों को उसके उत्पाद का आकर्षक एवं लाभप्रद मूल्य अवश्य प्राप्त होना चाहिए लेकिन इसके साथ भी रूई का कारोबार भी बेहतर ढंग से सुनिश्चित करने के लिए उद्योग-व्यापार क्षेत्र सक्षम बनाया जाना चाहिए।
एमएसपी का निर्धारण इसलिए किया जाता ताकि सरकार इस पर किसानों से उत्पाद की खरीद कर सके। लेकिन यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सरकार स्वयं रूई का उपयोग नहीं करती है बल्कि खरीदे गए माल को पुनः बाजार में बेच देती है।
इसके बजाए यदि उद्योग-व्यापार क्षेत्र कुछ कम दाम पर रूई खरीदता है तो सरकार भावान्तर भुगतान योजना के अंतर्गत किसानों को घाटे की भरपाई कर सकती है।
इससे टेक्सटाइल उत्पादों के लागत खर्च में कमी आएगी और इसका निर्यात बढ़ाने में अच्छी सफलता मिलेगी। रूई का निर्यात भी तेजी से बढ़ेगा।