iGrain India - ढाका । व्यापार विश्लेषकों एवं आयातकों का कहना है कि यदि अमरीका की नई सरकार (ट्रंप प्रशासन) द्वारा चीन में निर्मित सामानों के आयात पर ऊंचे स्तर पर सीमा शुल्क लगाया जाता है तो बांग्ला देश में सोयाबीन तथा खाद्य तेल का दाम घटाने में कुछ सहायता मिल सकती है।
दरअसल अमरीकी निर्णय के जवाब में बदले की कार्रवाई के तहत चीन भी अपने आयातकों को अमरीकी उत्पादों का आयात करने से हतोत्साहित कर सकता है।
यदि चाइनीज खरीदार अमीरिकी सामानों का आयात घटाते हैं तो अमरीकी सोयाबीन एवं सोया तेल की मांग कमजोर पड़ सकती है। जब अमरीका में दाम घटेगा तो वैश्विक बाजार में भी कीमतों में गिरावट आएगी और बांग्ला देश में आयात खर्च घट जाएगा।
वर्तमान समय में अमरीका से सोयाबीन का सर्वाधिक निर्यात चीन को किया जाता है मगर आगामी महीनों के दौरान वहां ब्राजील एवं अर्जेन्टीना से सोयाबीन का आयात बढ़ाने का निर्णय लिया जा सकता है।
चीन अब भी सोयाबीन का सबसे ज्यादा आयात ब्राजील से कर रहा है। इसमें अमरीका दूसरे नम्बर पर है। व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आने पर पॉल्ट्री फीड, डेयरी प्रोडक्ट्स तथा कैटल फीड का दाम भी घट सकता है।
उल्लेखनीय है कि डोनाल्ड ट्रंप अमरीकी राष्ट्रपति चुनाव में विजयी हुए हैं और वे 20 जनवरी 2025 को अमरीकी राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेंगे। उसके बाद ट्रंप प्रशासन का कार्यकाल शुरू होगा जो अगले चार वर्ष तक बरकरार रहेगा।
डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल (2016-2019) के दौरान चीन के कई उत्पादों पर भारी-भरकम आयात शुल्क लगाया गया था और इससे छूट पाने के लिए चीन के समक्ष कई शर्तें रखी गई थीं।
इसमें निश्चित समयावधि के दौरान अमरीका से विशाल मात्रा में सोयाबीन, गेहूं एवं मक्का आदि का आयात करना भी शामिल था। चीन को इन शर्तों को स्वीकार करने के लिए विवश होना पड़ा था।
बांग्ला देश में खाद्य तेलों की औसत वार्षिक मांग 25 लाख टन के आसपास रहती है और इसके लगभग 45 प्रतिशत भाग का आयात अमरीका से किया जाता है।
अमरीकी सोयाबीन के दाम में अब नरमी का माहौल देखा जा रहा है। वैश्विक बाजार में छह माह पूर्व सोयाबीन का भाव 530 डॉलर प्रति टन की ऊंचाई पर चल रहा था जो अब गिरकर 480 डॉलर प्रति टन पर आ गया है।