iGrain India - चेन्नई । रूस द्वारा यूक्रेन जहाजों के लिए काला सागर क्षेत्र में रास्ता बंद कर दिए जाने से भारत में सूरजमुखी तेल का आयात प्रभावित होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि यूक्रेन दुनिया में सूरजमुखी एवं इसके तेल का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश है और भारत में इस खाद्य तेल का सर्वाधिक आयात वहीँ से होता है। इसके अलावा रूस तथा अर्जेन्टीना से भी सूरजमुखी तेल मंगाया जाता है।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार सूरजमुखी तेल के आयात में कमी आने पर भारत को पाम तेल एवं सोयाबीन तेल का आयात बढ़ाने के लिए विवश होना पड़ सकता है।
समझा जाता है कि यूक्रेन से निर्यात बंद होने पर न केवल सूरजमुखी तेल का बल्कि इसके पीछे-पीछे सोयाबीन तेल एवं पाम तेल समेत अन्य खाद्य तेलों का वैश्विक बाजार मूल्य भी आगामी समय में बढ़ सकता है जिसके प्रभाव से घरेलू बाजार में खाद्य तेल का भाव ऊंचा हो जाएगा। भारत संसार में वनस्पति तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश है।
रूस ने यूक्रेन के बंदरगाहों से काला सागर के माध्यम से बाहर जाने वाले जहाजों को सुरक्षित कोरीडोर देने से इंकार कर दिया है इसलिए अब वहां से जहाजों का गुजरना काफी जोखिमपूर्ण हो गया है। ऐसी हालत में कोई भी आयातक देश यूक्रेन से सूरजमुखी तेल सहित कोई भी कृषि उत्पाद मंगाने का प्रयास नहीं करेगा।
एक अग्रणी आयातक प्रतिष्ठान का कहना है कि भारत में सूरजमुखी तेल का आयात वर्तमान स्तर के मुकाबले करीब 30 प्रतिशत तक घट सकता है। उल्लेखनीय है कि सुजरमुखी तेल के उत्पादन तथा निर्यात में काला सागर क्षेत्र की भागीदारी क्रमश: 60 प्रतिशत एवं 76 प्रतिशत रहती है। पिछले पांच सप्ताहों के दौरान सूरजमुखी तेल का भाव 850 डॉलर से बढ़कर 965 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया।
भारत में सामान्यतः प्रति माह करीब 2.50 लाख टन सूरजमुखी तेल मंगाया जाता है जिसमें यूक्रेन की भागीदारी सर्वाधिक होती है। चालू वर्ष के आरंभ में रूस-यूक्रेन के निर्यातकों ने काफी आक्रामक ढंग से सूरजमुखी तेल की बिकवाली शुरू की थी जिससे इसका बह्व घटकर काफी नीचे आ गया था लेकिन अब इसमें तेजी आने की संभावना है।