iGrain India - मुम्बई । लम्बे समय तक गायब रहने के बाद दक्षिण-पश्चिम मानसून अब महाराष्ट्र में भी सक्रिय हो गया है जिसके चलते बुलढाणा, कोल्हापुर, अकोला एवं रत्नागिरी सहित कई अन्य जिलों में भारी बारिश होने लगी है। महाराष्ट्र में पहले खरीफ फसलों की बिजाई गत वर्ष से काफी पीछे चल रही थी लेकिन अब काफी करीब आ गई है।
उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान महाराष्ट्र में 25 जुलाई तक धान का उत्पादन क्षेत्र 8.36 लाख हेक्टेयर से गिरकर 8.01 लाख हेक्टेयर, ज्वार का बिजाई क्षेत्र 1.37 लाख हेक्टेयर से घटकर 94 हजार हेक्टेयर, बाजरा का क्षेत्रफल 3.78 लाख हेक्टेयर से घटकर 2.23 लाख हेक्टेयर रागी का रकबा 34 हजार हेक्टेयर से फिसलकर 27 हजार हेक्टेयर तथा मक्का का क्षेत्रफल 7.94 लाख हेक्टेयर से घटकर 7.07 लाख हेक्टेयर रह गया।
दलहन फसलों में वहां अरहर (तुवर) का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 10.86 लाख हेक्टेयर से गिरकर 10.01 लाख हेक्टेयर, मूंग का बिजाई क्षेत्र 2.58 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 1.48 लाख हेक्टेयर तथा उड़द का क्षेत्रफल 3.20 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.86 लाख हेक्टेयर रह गया। हाल की बारिश से फसल को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।
तिलहन फसलों में सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 45.62 लाख हेक्टेयर से गिरकर इस बार 45.38 लाख हेक्टेयर, मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 1.45 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.04 लाख हेक्टेयर तथा तिल का रकबा 5 हजार हेक्टेयर से फिसलकर 4 हजार हेक्टेयर के करीब रह गया। इसी तरह कपास का रकबा 40.92 लाख हेक्टेयर से घटकर 40.16 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र देश में कपास गन्ना एवं अरहर का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है। वहां बिजाई की प्रक्रिया अभी जारी है।