iGrain India - जयपुर । देश के पश्चिमी प्रान्त- राजस्थान में दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व किसानों ने सरकार से कम से कम चार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने की मांग की है।
इसमें से तीन फसलों में राजस्थान सबसे बड़ा तथा एक अन्य फसल में दूसरा सबसे उत्पादक राज्य है। किसान संगठनों का कहना है कि यदि चुनाव आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता लागू किए जाने से पूर्व राजस्थान सरकार ने इसकी गारंटी की घोषणा नहीं की तो इस मांग का समर्थन करने के लिए अन्य राज्यों के किसान भी उसके अभियान में शामिल हो सकते हैं।
16 सितम्बर को नई दिल्ली में किसान महापंचायत की एक दिवसीय बैठक में निर्णय लिया गया कि किसानों के बीच इस बात के लिए जागरूकता पैदा की जाए कि' एमएसपी नहीं, तो वोट नहीं।' मालूम हो कि राजस्थान में इस संगठन का काफी मजबूत आधार है।
संगठन के अध्यक्ष के अनुसार राजस्थान सरकार के समक्ष मूंग, बाजरा, सरसों और ज्वार के लिए अनिवार्य एमएसपी स्कीम लागू करने का प्रस्ताव रखा गया है।
राजस्थान इन फसलों के शीर्ष उत्पादक प्रांतों में शामिल है। संगठन ने राज्य सरकार को प्रयोगिक स्तर पर यह स्कीम शुरू करने के लिए कहा है। उसका कहना है कि राज्य सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इन फसलों की खरीद उस समय कर सकती है जब व्यापारी या मिलर्स एमएसपी पर इसकी खरीद से इंकार कर दें और बाद में वह चाहे तो इससे ऊंचे स्तर के नियत मूल्य पर इसकी बिक्री कर सकती है।
ध्यान देने की बात है कि महाराष्ट्र में सोयाबीन के लिए इसी तरह की योजना लागू की गई थी मगर वह सफल नहीं हो सकी क्योंकि व्यापारियों ने मध्य प्रदेश से सस्ते दाम पर सोयाबीन खरीदना शुरू कर दिया।
संगठन के अध्यक्ष का कहना था कि बाजार में बेंचमार्क मूल्य का अनुसरण किया जाएगा क्योंकि ये फसलें राजस्थान में एमएसपी से नीचे दाम पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होंगी।
देश में करीब 50 प्रतिशत सरसों का उत्पादन राजस्थान में होता है। यदि यह एमएसपी से नीचे दमा पर उपलब्ध न हो तो अन्य राज्यों में भी स्वाभाविक तौर पर इसका भाव ऊंचा हो जाएगा।