गांधीनगर, 29 जून (आईएएनएस)। केंद्र सरकार की स्वर्ण मौद्रीकरण योजना (जीएसएम) के प्रति समर्थन जताते हुए गुजरात के अंबाजी और सोमनाथ मंदिरों ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में करीब 200 किलोग्राम सोना जमा कराया है।इस पहल का उद्देश्य सोने की कीमत को तरलता प्रदान कर उससे मंदिर और देश की अर्थव्यवस्था का विकास करना है।
आईआईएम, अहमदाबाद में इंडिया गोल्ड पॉलिसी सेंटर द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई थी खुदरा उपभोक्ताओं जीएमएस के प्रति कोई खास उत्साहित नहीं हैं। भारतीय परिवारों द्वारा रखे गए अधिशेष सोने का मात्र 0.22 प्रतिशत जीएमएस के माध्यम से मुद्रीकृत किया सका है।
सूत्रों ने बताया कि अम्बाजी मंदिर और सोमनाथ मंदिर ने सार्वजनिक बैंकों में पर्याप्त मात्रा में सोना जमा करके इस प्रवृत्ति को बदलने का प्रयास किया है। दोनों मंदिरों ने मिलकर लगभग 200 किलोग्राम सोना जमा कराया है जिसकी मौजूदा कीमत लगभग 120.6 करोड़ रुपये है।
सरकार मंदिरों को जीएमएस के तहत दान के रूप में प्राप्त सोने को बैंकों में जमा करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित कर रही है। यह पहल मंदिरों को अपनी सोने की जमा राशि पर ब्याज अर्जित करने की अनुमति देती है, जिससे मंदिरों को अपनी सोने की संपत्ति का प्रभावी ढंग से उपयोग करने का एक व्यवहार्य विकल्प मिलता है। योजना के तहत, मध्यम अवधि की जमा पर 2.25 प्रतिशत की वार्षिक दर पर ब्याज मिलता है, जबकि लंबी अवधि की जमा पर 2.5 प्रतिशत की वार्षिक ब्याज दर मिलती है।
अम्बाजी मंदिर ट्रस्ट सोने के भंडार में अग्रणी बनकर उभरा है, जिसने पहले ही तीन चरणों में 168 किलोग्राम सोना जमा किया है। पहले दो चरणों में ट्रस्ट ने क्रमश: 96 किलोगाम और 23 किलोग्राम सोना जमा किया। इसके अतिरिक्त, मंदिर के शिखर को सजाने के लिए लगभग 140 किलोग्राम सोने का उपयोग किया गया है, जो पवित्र स्थान की भव्यता को बढ़ाता है। सोमनाथ मंदिर ने भी इस योजना में सक्रिय रूप से भाग लिया है, दान के माध्यम से एकत्रित सोने का उपयोग मंदिर के शिखरों पर सोने की परत चढ़ाने में किया है।
--आईएएनएस
एकेजे