नई दिल्ली, 10 अगस्त (आईएएनएस)। "मकतल (कत्लगाह) में आते हैं वे लोग खंजर बदल-बदल के, या रब मैं लाऊं कहां से सर बदल बदल के।" गुरुवार को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सत्ता पक्ष पर हमला बोलते हुए उनके लिए ही यह शेर पढ़ा।खड़गे के शेर का जवाब सत्ता पक्ष ने भी शायरी में ही दिया। भाजपा की महिला सांसद सीमा द्विवेदी ने इसके जवाब में अकबर इलाहाबादी का शेर पढ़ते हुए कहा, "हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता।"
शेरो-शायरी का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। इसके बाद एक-एक कर कई और सांसदों ने शेरो-शायरी के जरिए आरोप लगाए और अपने जवाब दिए।
गौरतलब है कि राज्यसभा में मॉनसून सत्र के पहले दिन से ही सत्ता पक्ष व विपक्ष में टकराव जारी है। इस टकराव के बीच गुरुवार को राज्यसभा में यह हल्के-फुल्के पल भी देखने को मिले। इस दौरान विपक्ष और सत्तापक्ष ने सदन में शेरो-शायरी के जरिए अपनी अपनी बातें रखी और गिले-शिकवे किए।
राज्यसभा में गुरुवार सुबह हुए हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।
दोपहर 2 बजे कार्यवाही पुन: प्रारंभ होने पर नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बोलने के लिए खड़े हुए। इस दौरान उन्होंने शिकायत की कि जब भी वह बोलते हैं, सत्ता पक्ष इसमें बार-बार व्यवधान डालता है।
उनका कहना था कि उनके बोलते समय अलग-अलग बातों पर सत्ता पक्ष के सांसद शोर मचाने लगते हैं। इसके बाद खड़गे ने विपक्ष पर तंज कसते हुए यह शेर सुनाया।
शेरो-शायरी के जरिए हो रहे सवाल-जवाब में भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी भी शामिल हो गए। उन्होंने विपक्ष के लिए शेर पढ़ा, "सच जरा सा घटे या बढ़े तो सच सच न रहे, मगर झूठ की तो कोई इंतिहा नहीं, लाख चेहरे बदल कर आ जाते हैं ये, मगर आईना कमबख्त, झूठ बोलता नहीं।"
सभापति जगदीप धनखड़ ने सुधांशु त्रिवेदी द्वारा पढ़ी गई शायरी को सही करते हुए कहा, "चाहे सोने में जड़ दो, चाहे चांदी में जड़ दो, आईना कभी झूठ बोलता नहीं।"
इसके बाद कमान कांग्रेस के सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने संभाली और कहा, "बहुत आसां है नशा पिलाकर किसी को गिराना, मजा तो तब है जब गिरते हुए को संभालो। काश, मेरे मुल्क में ऐसी फिजा चले, कि मंदिर जले तो रंज मुसलमान को हो, और मस्जिद की आबरू पामाल न हो, उसकी चिंता मंदिर के निगेहबां करें।"
खास बात यह है कि अमूमन एक-दूसरे पर तीखा हमला करने वाले सांसद इस दौरान न केवल शेरो-शायरी सुनते रहे बल्कि मेज थपथपाकर सराहना भी की।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस दौरान गालिब का शेर सुनाते हुए विपक्ष पर हमला किया और कहा, "उम्रभर इस भूल में जीते रहे गालिब, धूल चेहरे पर थी और हम आईना पोंछते रहे।"
जवाब में नेता प्रतिपक्ष खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमको मिट्टी में दबाने की जितनी भी कोशिश कर लें, हम बार-बार उगते रहेंगे क्योंकि हम बीज हैं।
इस बार खड़गे को जवाब सुधांशु त्रिवेदी ने कविता के माध्यम से दिया और कहा, "मैं उगता हूं, मैं बढ़ता हूं, मैं नभ की चोटी चढ़ता हूं। कुचला जाऊं यदि धूलि सा, आंधी सा पुन: उमड़ता हूं।"
--आईएएनएस
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