💎 किसी भी बाजार में छिपे अंडरवैल्यूड स्टॉक्स का खुलासा करेंशुरू करें

क्या खत्म हो गया मेगापिक्सल युग? पेरिस्कोप लेंस फ्लैगशिप फोन कैमरों पर कर रहे कब्जा

प्रकाशित 04/01/2024, 08:53 pm
© Reuters.  क्या खत्म हो गया मेगापिक्सल युग? पेरिस्कोप लेंस फ्लैगशिप फोन कैमरों पर कर रहे कब्जा

नई दिल्ली, 4 जनवरी (आईएएनएस)। स्मार्टफोन लगातार विकसित हो रहे हैं। दुनिया भर में हर स्मार्टफोन ब्रांड अपने यूजर्स को बेस्ट फोन का एक्सपीरियंस देने की कवायद में जुटा है। इसके लिए वे अपने अनुसंधान एवं विकास में भारी निवेश करते हैं।पिछले कुछ सालों में बड़े बदलावों से गुजरे इन फोन्स का एक महत्वपूर्ण फीचर कैमरा है। पहले मोबाइल फोन कैमरे में मात्र 0.1 मेगापिक्सल से लेकर आज के 200 मेगापिक्सल स्मार्टफोन कैमरे तक, कैमरा टेक्नोलॉजी ने एक लंबा सफर तय किया है।

कैमरा टेक्नोलॉजी में लेटेस्ट इनोवेशन और विकसित हुआ है, जिसमें पेरिस्कोप कैमरे फ्लैगशिप फोन में शाइनी नए फीचर्स के तौर पर सामने आए हैं। जैसे-जैसे उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है, क्या यह मान लेना सही है कि फ्लैगशिप फोन में हाई मेगापिक्सेल काउंट की इच्छा धीरे-धीरे खत्म हो रही है?

स्मार्टफोन यूजर्स में लंबे समय से मिथक है कि उनके कैमरे में मेगापिक्सल की संख्या जितनी ज्यादा होगी, उससे क्लिक इमेज का आउटपुट उतना ही बेहतर होगा। ज्यादा मेगापिक्सल का मतलब हाई रिजॉल्यूशन के बराबर से नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि कम मेगापिक्सल वाले कैमरे कभी-कभी ज्यादा मेगापिक्सल वाले कैमरों की तुलना में बेहतर क्वालिटी वाली इमेज दे सकते हैं।

जब फ्लैगशिप लेवल के स्मार्टफोन कैमरों की बात आती है, तो आमतौर पर कैमरा सेंसर में पिक्सल का क्वालिटी उनकी क्वांटिटी से ज्यादा जरुरी होता है। कैमरे के लेंस का साइज और इमेज क्वालिटी पर प्रभाव महत्वपूर्ण हो सकता है, जो अक्सर सेंसर के मेगापिक्सल काउंट के प्रभाव से ज्यादा होता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि कैमरे का इमेज प्रोसेसर फोटो डेटा को कैसे संभालता है।

कई कैमरे में इमेज को ऑटो-शार्प करने का फीचर होता है, जो कभी-कभी इमेज क्वालिटी को खराब कर सकता है। 100 मेगापिक्सल मिड-रेंज फोन कैमरे को 50 मेगापिक्सल फ्लैगशिप-लेवल कैमरे की तुलना में कम क्वालिटी फोटोज लेते देखना हैरानी की बात नहीं है।

किसी पिक्चर की क्वालिटी हार्डवेयर, सॉफ़्टवेयर और पर्सलन प्रेफरेंस के संयोजन से प्रभावित होती है। स्मार्टफोन कैमरों का वर्किंग प्रोसेस, इंडिविजुअल कंपोनेंट्स और उनके परफॉर्मेंस को कैसे मापा जाता है, इसे समझने से इस बात पर प्रकाश डाला जा सकता है कि मेगापिक्सल कैमरे की क्वालिटी का एकमात्र निर्धारक क्यों नहीं है। एफ-स्टॉप वैल्यू या एपर्चर सेंसर साइज से पास से जुड़ा हुआ है।

जब जूम की बात आती है, तो ज्यादातर स्मार्टफोन कैमरे आमतौर पर ऑप्टिकल जूम की बजाय डिजिटल जूम की पेशकश करते हैं। ऑप्टिकल ज़ूम में वास्तविक लेंस मूवमेंट शामिल होता है, डिजिटल ज़ूम पिक्सल को बड़ा करने के लिए सॉफ़्टवेयर एल्गोरिदम पर निर्भर करता है। स्मार्टफोन में इमेज स्टेबलाइजेशन पर डिजिटल के रूप में आता है, जिसके चलते मामूली वीडियो अस्थिर हो सकता है। इसके विपरीत, ऑप्टिकल इमेज स्टेबलाइजेशन, कैमरे के लेंस को शिफ्ट करने के लिए छोटे जाइरोस्कोप का उपयोग करके, इमेज स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।

पिछले साल तक, प्रीमियम लेवल के स्मार्टफोन में इमेज क्वालिटी बढ़ाने की मेगापिक्सल काउंट को बढ़ाना था। हालांकि, हाई-एंड स्मार्टफोन के क्षेत्र में, प्रवृत्ति अब केवल पिक्सल की संख्या बढ़ाने के बजाय समग्र इमेज क्वालिटी को बढ़ाने की ओर अधिक झुक रही है। शीर्ष स्मार्टफोन ब्रांड इस साल से अपने नए स्मार्टफोन में पेरिस्कोप कैमरा पेश करके इसे प्रोत्साहित कर रहे हैं।

पेरिस्कोप कैमरा टेक्नोलॉजी स्मार्टफोन को भारी बनाए बिना जूम क्षमताओं में सुधार करती है। यह एक सबमरीन पेरिस्कोप की तरह काम करता है, जो एक पतली आवरण में ज्यादा लेंस और शक्ति की अनुमति देता है। पारंपरिक टेलीफोटो लेंस के विपरीत, जो 2 गुना या 3 गुना ज़ूम प्रदान करते हैं, पेरिस्कोप लेंस फोन की मोटाई बढ़ाए बिना 5 गुना और 10 गुना ऑप्टिकल ज़ूम प्रदान करते हैं।

यह दूर के हाई-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें कैप्चर करने में सक्षम बनाता है, जिससे स्पष्ट इमेज प्राप्त होती हैं। इसके अलावा, पेरिस्कोप कैमरे हाई मेगापिक्सेल काउंट पर भरोसा किए बिना हाई क्वालिटी तस्वीरें तैयार कर सकते हैं।

यह इस धारणा को रेखांकित करता है कि अनावश्यक पिक्सल पर पैसा खर्च करना लागत प्रभावी नहीं है। ऐसे फ्लैगशिप स्मार्टफोन में निवेश करना समझदारी है, जिसमें बेहतर लेंस क्वालिटी वाला कैमरा, बड़ा सेंसर और अधिक कुशल इमेज प्रोसेसर हो, जैसा कि आपको टेलीफोटो लेंस में मिलता है।

--आईएएनएस

पीके/एबीएम

नवीनतम टिप्पणियाँ

हमारा ऐप इंस्टॉल करें
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
फ्यूज़न मीडिया आपको याद दिलाना चाहता है कि इस वेबसाइट में मौजूद डेटा पूर्ण रूप से रियल टाइम एवं सटीक नहीं है। वेबसाइट पर मौजूद डेटा और मूल्य पूर्ण रूप से किसी बाज़ार या एक्सचेंज द्वारा नहीं दिए गए हैं, बल्कि बाज़ार निर्माताओं द्वारा भी दिए गए हो सकते हैं, एवं अतः कीमतों का सटीक ना होना एवं किसी भी बाज़ार में असल कीमत से भिन्न होने का अर्थ है कि कीमतें परिचायक हैं एवं ट्रेडिंग उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं है। फ्यूज़न मीडिया एवं इस वेबसाइट में दिए गए डेटा का कोई भी प्रदाता आपकी ट्रेडिंग के फलस्वरूप हुए नुकसान या हानि, अथवा इस वेबसाइट में दी गयी जानकारी पर आपके विश्वास के लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा।
फ्यूज़न मीडिया एवं/या डेटा प्रदाता की स्पष्ट पूर्व लिखित अनुमति के बिना इस वेबसाइट में मौजूद डेटा का प्रयोग, संचय, पुनरुत्पादन, प्रदर्शन, संशोधन, प्रेषण या वितरण करना निषिद्ध है। सभी बौद्धिक संपत्ति अधिकार प्रदाताओं एवं/या इस वेबसाइट में मौजूद डेटा प्रदान करने वाले एक्सचेंज द्वारा आरक्षित हैं।
फ्यूज़न मीडिया को विज्ञापनों या विज्ञापनदाताओं के साथ हुई आपकी बातचीत के आधार पर वेबसाइट पर आने वाले विज्ञापनों के लिए मुआवज़ा दिया जा सकता है।
इस समझौते का अंग्रेजी संस्करण मुख्य संस्करण है, जो अंग्रेजी संस्करण और हिंदी संस्करण के बीच विसंगति होने पर प्रभावी होता है।
© 2007-2024 - फ्यूजन मीडिया लिमिटेड सर्वाधिकार सुरक्षित