नई दिल्ली, 16 अप्रैल (आईएएनएस)। इस साल सामान्य मॉनसून रहने से बढ़ती महंगाई को झेल रहे लोगों को हल्की राहत मिल सकती है। अच्छी बारिश का असर खरीफ फसलों के उत्पादन पर पड़ता है, जिससे कुछ खास खाद्य पदार्थो के दाम घट सकते हैं।चावल, बाजरा, रागी, अरहर, मूंगफली, कपास, मक्का, सोयाबीन आदि खरीफ फसलें हैं और इनका उत्पादन अधिकतर अच्छे मानसून पर निर्भर करता है। इनकी बुवाई जून-जुलाई से शुरू होती है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उपजे आपूर्ति संकट से वैश्विक स्तर पर खाद्य वस्तुओं, ईंधन, उर्वरक और अन्य कमोडिटी के दामों में आग लगी हुई है। ऐसे में मानसून के दौरान अच्छी बारिश खरीफ फसलों के उत्पादन को बढ़ा सकती है, जिससे महंगाई पर कुछ हद तक नियंत्रण किया जा सकता।
भारतीय मौसम विभाग के गुरुवार को और निजी एजेंसी स्काईमेट ने मंगलवार को दक्षिण पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान जारी किया। दोनों ने इस साल मॉनसून के सामान्य रहने का अनुमान जताया है।
मौसम विभाग अपना पहला पूर्वानुमान अप्रैल में और दूसरा पूर्वानुमान मई के अंतिम सप्ताह में जारी करता है।
मौसम विभाग के मुताबिक, देश में 96 प्रतिशत से 104 प्रतिशत बारिश का अनुमान है, जो सामान्य है। बारिश का 96 प्रतिशत से कम होना सामान्य से कम और 104 प्रतिशत से अधिक होना सामान्य से अधिक होना माना जाता है।
इस साल मार्च में खुदरा महंगाई दर करीब सात प्रतिशत की दर से बढ़ी, जिसे देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि आरबीआई इस पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकता है।
मॉनसून के पूर्वानुमान ने लेकिन देश की अर्थव्यवस्था को सुधरने का मौका दिया है। अच्छी बारिश न सिर्फ कृषि क्षेत्र के लिए जरूरी है, बल्कि इससे उद्योग जगत में भी बहार आती है।
अच्छी बारिश के कारण कृषि मांग में तेजी आती है, जिससे उद्योग जगत को गति मिलती है। देश में पिछले तीन साल से अच्छी बारिश हो रही है।
एम्के ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की मुख्य अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि सामान्य मानसून खाद्य पदार्थो की बढ़ती कीमत पर लगाम लगााएगा, खासकर ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थो के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं।
गत माह खुदरा महंगाई दर 7.68 प्रतिशत की तेजी से बढ़ी, जबकि फरवरी में इसकी दर 5.85 प्रतिशत और मार्च 2021 में 4.87 प्रतिशत थी।
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधुरी ने कहा कि अगर मानसून का पूर्वानुमान सही साबित होता है तो लगातार चौथे साल देश में मानसून अनुकूल रहेगा, जो कृषि क्षेत्र के लिये अच्छी बात है। जून-जुलाई के शुरुआती समय में अच्छी बारिश से फलों और सब्जियों के दाम में कमी आएगी। इसका खाद्य कीमतों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा कि वित्तवर्ष 22 के अंत के समय खाद्य पदार्थो की कीमतें फिर बढ़ने लगी थीं। इसी कारण मार्च में महंगाई दर 16 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
उन्होंने बताया कि कच्चे माल की कीमतों में तेजी से कृषि क्षेत्र की लागत बढ़ी रहेगी, लेकिन अच्छे मानसून से उपभोक्ताओं को राहत मिलने की संभावना है।
इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च के विश्लेषक पारस जसराई ने कहा कि चालू वित्तवर्ष में कृषि क्षेत्र की संभावनायें बेहतर हैं। हालांकि डीजल और उर्वरक के दाम में तेजी से कृषि क्षेत्र की विकास की गति बाधित हो सकती है। उन्होंने चालू वित्तवर्ष में कृषि क्षेत्र के तीन प्रतिशत की दर से वृद्धि का अनुमान जताया।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सामान्य मानसून का पूर्वानुमान और जलाशयों में पानी के पर्याप्त भंडार खरीफ फसलों की बुवाई के लिए सकारात्मक है, लेकिन इससे उन वस्तुओं जैसे खाद्य तेलों आदि के दाम नियंत्रित नहीं किए जा सकते, जो देश में खाद्य पदार्थो की महंगाई को बढ़ा रहे हैं।
--आईएएनएस
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