चेन्नई, 19 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय रुपया मंगलवार को एक अमेरिकी डॉलर के लिए 80 रुपये के निचले स्तर को पार कर गया। विशेषज्ञों ने कहा कि रुपये के मूल्य में गिरावट रूस-यूक्रेन युद्ध, विदेशी संस्थागत निवेशकों के बहिर्वाह और अन्य जैसे कई कारकों के कारण है।विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आई है, लेकिन अन्य मुद्राओं के मुकाबले इसमें तेजी आई है।
एंबिट एसेट मैनेजमेंट की फंड मैनेजर ऐश्वर्या दधीच ने कहा, वैश्विक जोखिम से बचने के कारण डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आई है। हालांकि, गिरावट काफी सहनीय है। भले ही रुपया 80 रुपये प्रति डॉलर के मनोवैज्ञानिक स्तर को छू गया हो, लेकिन यूरो, जीबीपी और येन जैसी प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपया वास्तव में मजबूत हुआ है।
दधीच ने कहा, विदेशी मुद्रा भंडार स्वस्थ स्तर पर बना हुआ है और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हालिया उपायों से डॉलर की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।
भारतीय रुपये के मूल तत्व बरकरार हैं और हालिया सुधार (वैश्विक जोखिम की भावना के कारण) एक ओवररिएक्शन है।
दधीच ने कहा, हमारा मानना है कि आईएनआर (भारतीय रुपया) सीमाबद्ध रहेगा और विदेशी निवेशक इसे एक अवसर के रूप में देखेंगे और इन स्तरों पर लॉक करने के लिए लुभाएंगे।
फंड्सइंडिया के शोध प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये के कमजोर होने के प्रमुख कारण वैश्विक कारक हैं, जिनमें रूस-यूक्रेन युद्ध, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, वैश्विक तरलता और महत्वपूर्ण एफआईआई बहिर्वाह शामिल हैं।
--आईएएनएस
एसकेके/एएनएम