iGrain India - ब्रिसबेन । लाल सागर जलमार्ग पर हूती विद्रोहियों के हमले का संकट जारी रहने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया से दलहनों के बल्क निर्यात की गति में कोई बदलाव नहीं आया है और वहां से मिस्र जैसे अफ्रीकी देशों को स्वेज नहर के सामान्य मार्ग से फाबा बीन्स का शिपमेंट जारी है।
वैसे भी ऑस्ट्रेलिया से दलहनों का अधिकांश निर्यात दक्षिण एशिया के देशों को होता है जिसमें भारत, बांग्ला देश, पाकिस्तान, श्रीलंका एवं नेपाल आदि शामिल हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया से संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की एवं मिस्र जैसे देशों को भी दलहनों का निर्यात किया जाता है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक दलहन उत्पादन फिलहाल व्यापारियों एवं निर्यातकों को सीमित मात्रा में चना, मसूर एवं फाबा बीन्स की बिक्री कर रहे हैं क्योंकि इन दलहनों का भाव लगभग स्थिर हो गया है।
मार्च से व्यापारिक गतिविधियां तेज होने की उम्मीद हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई किसानों को अगली नई फसल की बिजाई से पूर्व इनपुट की खरीद के लिए रकम की जरूरत पड़ेगी। ऑस्ट्रेलिया में अप्रैल-मई से दलहन फसलों (मूंग को छोड़कर) की बिजाई छिटपुट रूप से आरंभ हो जाती है।
मूंग की बिजाई अभी जारी है औअर क्वींसलैंड प्रान्त में अच्छी वर्षा होने से इसके बेहतर उत्पादन की उम्मीद बढ़ गई है। इसके साथ-साथ आगामी शीतकालीन दलहन फसलों की बिजाई के लिए भी यह वर्षा लाभदायक मानी जा रही है।
नवम्बर 2023 से ही ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी एवं पूर्वी भाग में अच्छी बारिश होती रही है। इससे वहां मसूर की फसल को कहीं-कहीं थोड़ा-बहुत नुकसान होने की खबर भी आई थी लेकिन कुल मिलाकर इसका उत्पादन ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ।
ऑस्ट्रेलिया में मई जून के दौरान जब मसूर, चना, मटर, फाबा बीन्स एवं ल्यूपिन जैसी दलहन फसलों (शीतकालीन) की बिजाई होती है तभी मूंग फल की कटाई-तैयारी भी जारी रहती है। मूंग ग्रीष्मकालीन फसल है।