iGrain India - नई दिल्ली । प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना केन्द्र सरकार का एक प्लैगशिप कार्यक्रम है जिसके तहत देश के 81.35 करोड़ लाभार्थियों को प्रति माह 5 किलो अनाज मुफ्त में उपलब्ध करवाया जा रहा है।
पहले इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के नाम से जाना जाता था मगर जनवरी 2023 में सरकार ने इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना रख दिया।
जनवरी 2024 में इस योजना की समयावधि अगले पांच वर्ष तक बढ़ाने की घोषणा की गई। इससे पूर्व अप्रैल 2020 में वित्त मंत्री ने इस योजना के शुभारंभ का ऐलान किया था।
योजना की समयावधि बढ़ने से इस पर होने वाले खर्च में भी वृद्धि होगी। सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इस योजना के वास्ते 2.13 लाख करोड़ रुपए की राशि आरक्षित की है और उसने कहा है कि अगले पांच वर्षों के दौरान उसका इरादा इस योजना के मद में 11.80 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का है।
चालू वित्त वर्ष के शुरूआती नौ महीनों में यानी अप्रैल से दिसम्बर 2023 के दौरान इस योजना के तहत 553 लाख टन से अधिक खाद्यान्न का आवंटन किया गया जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में 550 लाख टन से कुछ ज्यादा का आवंटन हुआ था।
वित्त वर्ष 2020-21 में इस योजना पर 1.02 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए थे जो 2021-22 में बढ़कर 1.19 लाख करोड़ रुपए एवं 2022-23 में उछलकर 2.72 लाख करोड़ रुपए के शीर्ष स्तर पर पहुंचने के बाद 2023-24 में घटकर 2.10 लाख करोड़ रुपए पर आने की संभावना है। इसी तरह वित्त वर्ष 2024-25 में यह राशि गिरकर 2.05 लाख करोड़ रुपए पर सिमटने का अनुमान है।
केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध रहने से सरकार को इस योजना के तहत वितरण का कार्य जारी रखने में आसानी हो रही है लेकिन राजकोष पर भारी दबाव पड़ रहा है।
वैसे गेहूं का स्टॉक घटकर पिछले सात साल के निचले स्तर पर आ गया है मगर अप्रैल से इसकी सरकारी खरीद आरंभ हो जाएगी। चावल का फिलहाल पर्याप्त स्टॉक है और सरकार इसका दाम घटाने का हर संभव प्रयास भी कर रही है।