iGrain India - नई दिल्ली । जनवरी में मौसम की हालत अनुकूल रहने के बावजूद कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि 2023-24 सीजन के दौरान गेहूं का घरेलू उत्पादन 1140 लाख टन के नियत लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगा।
ध्यान देने की बात है कि इस बार गेहूं के बिजाई क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हुई है और 60-65 प्रतिशत क्षेत्रफल में ऐसे बीज की बोआई की गई है जिसकी फसल में प्रतिकूल मौसम को सहने की अधिक क्षमता है।
कृषि विशेषज्ञों एवं व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि फरवरी से अप्रैल तक का मौसम गेहूं की फसल के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होगा। यदि इस अवधि में तापमान बढ़ता है और बारिश के अभाव में मौसम शुष्क रहता है तो फसल को नुकसान होगा।
कई क्षेत्रों में आदर्श अवधि के बाद गेहूं की बिजाई हुई है जिससे वहां उपज दर में कमी आ सकती है। इसके अलावा मार्च-अप्रैल में अक्सर आंधी-तूफान के साथ बेमौसमी वर्षा एवं कहीं-कहीं ओलावृष्टि का भी प्रकोप रहता है जिससे खासकर गेहूं के दाने की क्वालिटी प्रभावित होती है।
राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं का बिजाई क्षेत्र पिछले सीजन के 334 लाख हेक्टेयर से करीब 2 प्रतिशत बढ़कर चालू रबी सीजन में 340.10 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया।
इसके शानदार उत्पादन के लिए दो-तीन माह का मौसम अनुकूल रहना आवश्यक है। गेहूं का थोक मंडी भाव अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है जबकि केन्द्रीय पूल में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का स्टॉक घटकर काफी नीचे आ गया है।