iGrain India - पटना । जनवरी 2024 के दौरान बिहार के विभिन्न भागों में लम्बे समय तक मौसम ठंडा होने तथा घने कोहरे का प्रकोप रहने से सरसों, मसूर एवं चना सहित कुछ अन्य रबी फसलों की सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ा मगर गेहूं की फसल को कोई खास नुकसान नहीं हुआ।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह का मौसम सामान्यतः गेहूं की फसल के लिए अनुकूल होता है और इसलिए चालू रबी सीजन के दौरान बिहार में इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण खाद्यान्न का शानदार उत्पादन हो सकता है। मालूम हो कि पूर्वी भारत में बिहार गेहूं का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त माना जाता है।
विभिन्न जिलों में अवस्थित कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने इस बात की पुष्टि की है कि लम्बे समय तक ठंडे मौसम एवं घने कोहरे का प्रकोप बरकरार रहने से रबी फसलों को नुकसान हुआ है।
रोहितास जिले में आलू की 20-25 प्रतिशत तथा सरसों की 10-15 प्रतिशत फसल क्षतिग्रस्त होने की सूचना मिल रही है मगर गेहूं की फसल बेहतर स्थिति में है। इसी तरह औरंगाबाद जिले में आलू के साथ-साथ सरसों एवं मसूर की फसल को हानि हुई है।
दरअसल बिहार में खरीफ कालीन धान की कटाई-तैयारी दिसम्बर तक जारी रहती है इसलिए अनेक इलाकों में रबी फसलों की बिजाई देर से होती है। इसमें सरसों और मसूर भी शामिल है। जनवरी में जहां बिजाई हुई वहां ठंडे मौसम एवं घने कोहरे ने नवजात पौधों को नुकसान पहुंचाया।
प्रांतीय स्तर पर प्रतिकूल मौसम के कारण रबी फसलों को क्षति का आंकलन किया जा रहा है। विभिन्न जिलों से प्राप्त सूचना के आधार पर कृषि विभाग ने सरसों की 20 से 30 प्रतिशत, आलू की 30 से 40 प्रतिशत एवं मसूर की 10 से 15 प्रतिशत फसल के क्षतिग्रस्त होने का अनुमान लगाया है।
बिहार के जिन जिलों में रबी फसलों के ज्यादा क्षति होने की आशंका है उसमें गोपाल गंज, सारण, रोहतास, सीवान, कैमूर, बक्सर एवं भोजपुर शामिल है। राज्य के अन्य जिलों में भी फसलें क्षतिग्रस्त हुइ हैं मगर वहां नुकसान का दायरा सीमित है। घने कोहरे, शीतलहर तथा धूप की कमी के कारण जनवरी में रबी फसलों का विकास प्रभावित हुआ।