iGrain India - राजकोट । गुजरात कृषि विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में जीरा का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के 2,75,830 हेक्टेयर से 160.07 प्रतिशत उछलकर इस वर्ष 5,61,306 हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह राजस्थान में भी जीरा का क्षेत्रफल 6,87,781 हेक्टेयर की ऊंचाई पर पहुंचा। लेकिन दूसरी ओर इसके निर्यात में भारी गिरावट आई।
समझा जाता है कि पिछले साल उत्पादन कम होने तथा बाजार भाव अत्यन्त ऊंचा रहने से जीरा का निर्यात प्रभावित हुआ। मसाला बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में देश से केवल 84,475 टन जीरा का निर्यात हुआ जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के शिपमेंट से करीब 31 प्रतिशत कम रहा।
विदेशी बाजारों में भारतीय जीरे की प्रतिस्पर्धी क्षमता घट गई क्योंकि सीरिया एवं तुर्की जैसे देशों का जीरा इससे कम दाम पर उपलब्ध था। हालत एक समय ऐसी हो गई कि जिस चीन को भारत से जीरा का विशाल निर्यात किया जाता था वहां से इसका आयात करना पड़ा।
हल्दी की स्थिति बेहतर रही। वर्ष 2023 के दौरान इसके वायदा मूल्य में 70 प्रतिशत से अधिक की शानदार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। अगस्त 2023 की शुरुआत में इसका भाव उछलकर 16.720 रुपए प्रति क्विंटल के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।
खरीफ सीजन में इसकी बिजाई में देर हुई. मानसून की हालत अनिश्चित एवं अनियमित रही औअर इसकी उपज दर एवं पैदावार में गिरावट आने की आशंका उत्पन्न हो गई। इससे हल्दी का भाव तेज हो गया। इसकी निर्यात मांग भी काफी मजबूत रही।
2023-24 सीजन के दौरान हल्दी के बिजाई क्षेत्र में महाराष्ट्र में 10-20 प्रतिशत तमिलनाडु में 10-15 प्रतिशत तथा तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश में 18-22 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है।
लेकिन इसका निर्यात प्रदर्शन उत्साहवर्धक रहा। अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान भारत से हल्दी का निर्यात बढ़कर 1,02,163 टन पर पहुंच गया जो वर्ष 2022 की समान अवधि के शिपमेंट 99,546 टन से अधिक था। हल्दी के नए माल की आवक शुरू होने से इसकी कीमतों पर कुछ दबाव पड़ने की संभावना है लेकिन यदि निर्यात मांग मजबूत रही तो हल्दी का भाव ज्यादा नीचे आने में संदेह रहेगा।