iGrain India - तिरुचि । मेट्टूर बांध से पानी की आपूर्ति का अभाव होने के कारण साम्बा धान के उत्पादन में कमी आने तथा ग्रीष्मकाल काफी खतरनाक होने की आशंका से फसल की खेती के प्रति किसानों में उत्साह घटने से तमिलनाडु में धान-चावल का भाव तेज होने लगा है।
तिरुचि जिले में फाइन के साथ ही (अच्छी किस्मों) के धान का खरीद मूल्य 40 प्रतिशत तक बढ़ गया है जिसका असर चावल के दाम पर पड़ना स्वाभाविक ही है।
स्वयं कृषि विभाग का कहना है कि अगले छह महीनों के दौरान वहां चावल के थोक बाजार मूल्य में 15 रुपए प्रति किलो तक का भारी इजाफा हो सकता है।
तमिलनाडु में रबी कालीन धान की खेती संतोषजनक ढंग से नहीं हो सकी और अब किसानों का ध्यान अगले खरीफ (कुरुवई) सीजन पर केन्द्रित हैं। उसकी फसल आने में अभी-बहुत समय काफी है।
तिरुचि जिले में साम्बा धान का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 56 हजार हटकेयर से घटकर इस बार 35 हजार हेक्टेयर पर अटक गया। साम्बा धान के लगभग 60 प्रतिशत उत्पादक फाइन वैरायटी की खेती करते हैं इसलिए चावल मिलों ने उत्पादन घटने की आशंका को देखते हुए धना का स्टॉक रखना शुरू कर दिया है।
तमिलनाडु के डेल्टा संभव तथा कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में भी धान का स्टॉक दबाने की कोशिश हो रही है। ग्रीष्मकाल में मौसम प्रतिकूल रहने की संभावना से भी बाजार को तेजी का समर्थन मिल रहा है। फाइन वैरायटी के धान की 62 किलो वाली बोरी का दाम पिछले साल 1300 रुपए तक पहुंचा था जो इस बार 1800 रुपए के करीब पहुंच चुका है। आगे इसमें कुछ और बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
एक किसान नेता का कहना है कि फाइन वैरायटी धान के उत्पादक सीधी खरीद केन्द्रों पर आपने उत्पाद बेचने से हिचक रहे हैं क्योंकि वहां इसका भाव 908 रुपए प्रति 40 किलो चल रहा है।
दूसरी ओर प्राइवेट चावल मिलर्स इस बार सीधे किसानों से उसके खेतों पर धान खरीदने के इच्छुक हैं। इससे उत्पादकों क परिवहन सहित अन्य खर्चों की बचत हो जाएगी। कुछ किसानों को 1780 रुपए प्रति बोरी (62 किलो) की दर से अपना धान बेचने का अवसर मिल रहा है।