iGrain India - मुम्बई । पिछले साल की जबरदस्त तेजी के बाद जीरा का भाव अब घटकर काफी नीचे आ गया है और 25,500 से 30,000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच स्थिर हो गया है। रमजान के दौरान इसकी निर्यात मांग मजबूत रहने की उम्मीद है।
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, इराक, कुवैत एवं ओमान जैसे मुस्लिम बहुल देशों में जीरा की जोरदार मांग निकलने के संकेत मिल रहे हैं। जीरा का पिछला बकाया स्टॉक लगातार घटता जा रहा है जिससे खपत में बढ़ोत्तरी होने के संकेत दिख रहे हैं। यदि आगामी दिनों में मौसम गर्म रहा तो फसल को 20 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी होने लगी है।
लेकिन कई ऐसे कारक है जो जीरा के दाम पर दबाव दाल सकते हैं। पहली बात यह है कि जीरा का बिजाई क्षेत्र बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है जिससे इसका शानदार उत्पादन हो सकता है।
मौजूदा कमजोर भाव को देखते हुए खरीदारों की दिलचस्पी घटने की संभावना है जिससे कीमतों में तेजी का माहौल बनना मुश्किल होगा। चीन की ओर से जीरा में कोई खास मांग नहीं देखी जा रही है जबकि पाइप लाइन में निर्यात के लिए सीमित कारोबार हो रहा है। कीमतों में आई नरमी से बाजार में सतर्कता की धारणा बढ़ रही है जिसका असर दीर्घकालीन हो सकता है। अप्रैल-नवम्बर 2023 के दौरान जीरा के निर्यात में वर्ष 2022 की समान अवधि के मुकाबले 33.10 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई।
जीरा के कारोबार में कुछ अच्छे अवसर बन सकते हैं। केडिया एडवाइजरी के अनुसार बकाया स्टॉक कम होने से भविष्य में जीरा की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है।
वर्तमान समय में फसल पर भी अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि मौसम का रुख कभी भी बदल सकता है। रमजान के अवसर पर बेहतर निर्यात के आसार बन सकते हैं और लगभग 300 कंटेनरों में इसका शिपमेंट हो सकता है। कीमत नरम रहने से न केवल परम्परागत बाजारों में निर्यात बढ़ सकता है बल्कि कुछ नए बाजारों तक इसकी पहुंच सुनिश्चित हो सकती है।
यदि फसल की हालत अच्छी रही तो जीरा का घरेलू उत्पादन बढ़कर इस बार एक करोड़ बोरी से ऊपर पहुंच सकता है। इससे आपूर्ति एवं उपलब्धता में अच्छी बढ़ोत्तरी होगी और घरेलू तथा निर्यात मांग मजबूत रहने के बावजूद जीरा के दाम में ज्यादा तेजी नहीं आ सकेगी।