iGrain India - बगल कोट। दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण दलहन उत्पादक राज्य- कर्नाटक में दक्षिण-पश्चिम मानसून की धीमी चाल से मूंग की खेती प्रभावित हो रही है। वहां 20 जून तक इसकी बिजाई का आदर्श समय माना जाता है लेकिन बारिश की कमी से अधिकांश क्षेत्रों में बिजाई संभव नहीं हो पा रही है।
वैसे कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आदर्श अवधि से आगे 8-10 दिनों तक में बिजाई हो जाए तो कोई खास समस्या नहीं होगी बशर्ते आने वाले समय में मौसम एवं मानसून की स्थिति अनुकूल बनी रहे।
जरूरत से ज्यादा लेट होने पर फसल की पूरी निगरानी की आवश्यकता होगी और लागत खर्च बढ़ सकता है। अनेक जिलों में किसान मानसून की वर्षा का इंतजार कर रहे हैं।
दिलचस्प तथ्य यह है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में दस्तक देने के बाद सबसे पहले कर्नाटक ही पहुंचता है लेकिन इस बार यह तटीय इलाकों तक ही सीमित हो गया लगता है।
बेलगाम और यद्गीर से लेकर गडग, धारवाड़, कप्पल तथा बगलकोट तक बारिश की कमी महसूस की जा रही है जबकि यह इलाका वहां मूंग का सबसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्र माना जाता है।
किसानों का कहना है कि यदि बारिश की कमी से 25 जून तक मूंग की बिजाई करने में सफलता नहीं मिली तो सोयाबीन एवं मिलेट्स की खेती हो जाएगी। इससे कर्नाटक में मूंग के बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन में काफी गिरावट आ सकती है।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक अरहर (तुवर) का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है जबकि खरीफ सीजन में वहां मूंग की खेती भी बड़े पैमाने पर होती है। उत्पादन घटने की आशंका पैदा होने पर मूंग के दाम में अच्छी बढ़ोत्तरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है मगर इसके न्यूतनम समर्थन मूल्य से ऊपर पहुंचने में संदेह बना रहेगा जो इस बार 7755 रुपए प्रति क्विंटल से करीब 10 प्रतिशत बढ़ाकर 8558 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।