iGrain India - नई दिल्ली । जून-जुलाई में देश के उत्तरी एवं पश्चिमोत्तर राज्यों में तथा अगस्त के दौरान पूर्वी भारत में मानसून की काफी अच्छी बारिश होने से राष्ट्रीय स्तर पर धान का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष से करीब 10 लाख हेक्टेयर आगे हो गया है जबकि इसकी रोपाई की प्रक्रिया अभी जारी है।
बिहार के अनेक भागों में पिछले पांच-छह दिन से रुक-रुक कर वर्षा हो रही है जबकि आगे कुछ और दिनों तक इसका सिलसिला बरकरार रहने की संभावना है।
ऐसा प्रतीत होता है कि अल नीनो अब कम से कम धान की खेती को प्रभावित नहीं करेगा जबकि सरकार ने इसी आशंका के कारण 20 जुलाई को सफेद गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सीजन के दौरान धान का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 283 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समान अवधि के क्षेत्रफल 273.73 लाख हेक्टेयर से 3.28 प्रतिशत अधिक है।
रकबा बढ़ने से धान-चावल के उत्पादन में वृद्धि होने की संभावना है। मालूम हो कि भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक एवं दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। सफेद गैर बासमती चावल का निर्यात रुकने से भारत से चावल के कुछ शिपमेंट में काफी कमी आएगी क्योंकि इसे विशाल मात्रा में बाहर भेजा जा रहा था।
पूर्वी भारत पहले सूखे की चपेट में था। वहां बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामान्य स्तर से काफी कम बारिश हुई थी जिससे धान की खेती पर प्रतिकूल असर पड़ रहा था लेकिन अब अच्छी बारिश होने से इसके रकबे में काफी सुधार आने की उम्मीद है।
मानसून की वर्षा अब उन राज्यों में ज्यादा होने के आसार हैं जहां धान के अलावा मक्का, कपास, सोयाबीन, मूंगफली तथा गन्ना की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
जून-जुलाई में देश के अंदर सामान्य औसत से करीब 5 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई लेकिन इसका वितरण असमान रहने से कुछ चिंता उत्पन्न हो गई थी। यह चिंता अब धीरे-धीरे दूर होती जा रही है।
मध्यवर्ती राज्यों में सामान्य वर्षा हुई है जबकि पंजाब, हरियाणा और गुजरात-राजस्थान में काफी अधिक बारिश दर्ज की गई। उत्तर प्रदेश में भी अच्छा बारिश हुई है।
यदि चालू माह के दौरान मानसून की हालत सामान्य रही तो सरकार को आगे सेला चावल के निर्यात पर रोक लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। धान खरीफ सीजन का सबसे प्रमुख खाद्यान्न है।